साखी (पद्य)

Revision Notes for Chapter 1 साखी Class 10 Sparsh

CBSE NCERT Revision Notes

1

ऐसी बाँणी बोलिये, मन का आपा खोइ।
अपना तन सीतल करै, औरन कौ सुख होइ।।

Answer

भावार्थ - कबीर कहते हैं की हमें ऐसी बातें करनी चाहिए जिसमें हमारा अहं ना झलकता हो। इससे हमारा मन शांत रहेगा तथा सुनने वाले को भी सुख और शान्ति प्राप्त होगी।

शब्दार्थ:
• बाँणी - बोली
• आपा - अहंकार
• सीतल - ठंडा
• तन - शरीर

2

कस्तूरी कुंडलि बसै, मृग ढूंढै वन माँहि।
ऐसैं घटि-घटि राँम है, दुनियाँ देखै नाँहि।।

Answer

भावार्थ - यहाँ कबीर ईश्वर की महत्ता को स्पष्ट करते हुए कहा है कि कस्तूरी हिरन की नाभि में होती है लेकिन इससे अनजान हिरन उसके सुगंध के कारण उसे पूरे जंगल में ढूंढ़ता फिरता है ठीक उसी प्रकार ईश्वर भी प्रत्येक मनुष्य के हृदय में निवास करते हैं परन्तु मनुष्य इसे वहाँ नही देख पाता। वह ईश्वर को मंदिर-मस्जिद और तीर्थ स्थानों में ढूंढ़ता रहता है।

शब्दार्थ: 
• कस्तूरी - एक सुगंधित पदार्थ
• कुंडलि - नाभि
• मृग - हिरन
• वन - जंगल
• माँहि - भीतर
• घटि-घटि - घट-घट में (प्रत्येक हृदय रूपी घड़े में)

3

जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाँहि।
सब अँधियारा मिटि गया, जब दीपक देख्या माँहि।।

Answer

भावार्थ - यहाँ कबीर कह रहे हैं की जब तक मनुष्य के मन में अहंकार होता है तब तक उसे ईश्वर की प्राप्ति नही होती। जब उसके अंदर का अंहकार मिट जाता है तब ईश्वर की प्राप्ति होती है। ठीक उसी प्रकार जैसे दीपक के जलने पर उसके प्रकाश से आँधियारा मिट जाता है। यहाँ अहं का प्रयोग अन्धकार के लिए तथा दीपक का प्रयोग ईश्वर के लिए किया गया है।

शब्दार्थ:
• मैं - अहंकार
• हरि - भगवान
• अँधियारा - अंधकार
• मिटि - मिटना
• देख्या - देखना

4

सुखिया सब संसार है, खायै अरु सोवै।
दुखिया दास कबीर है, जागै अरु रोवै।।

Answer

भावार्थ - कबीरदास के अनुसार ये सारी दुनिया सुखी है क्योंकि ये केवल खाने और सोने का काम करता है। इसे किसी भी प्रकार की चिंता नहीं है। उनके अनुसार सबसे दुखी व्यक्ति वो हैं जो प्रभु के वियोग में जागते रहते हैं। उन्हें कहीं भी चैन नही मिलता, वे प्रभु को पाने की आशा में हमेशा चिंता में रहते हैं।

शब्दार्थ:
• सुखिया - सुखी
• अरू - और
• सोवै - सोता है
• दुखिया - दुखी
• रोवै - रोता है

5

बिरह भुवंगम तन बसै, मन्त्र ना लागै कोइ।
राम बियोगी ना जिवै, जिवै तो बौरा होइ।।

Answer

भावार्थ - जब किसी मनुष्य के शरीर के अंदर अपने प्रिय से बिछड़ने का साँप बसता है तो उसपर कोई मन्त्र या दवा का असर नहीं होता ठीक उसी प्रकार राम यानी ईश्वर के वियोग में मनुष्य भी जीवित नही रहता। अगर जीवित रह भी जाता है तो उसकी स्थिति पागलों जैसी हो जाती है।

शब्दार्थ:
• बिरह - वियोग
• भुवंगम - साँप
• तन - शरीर
• जिवै - जीवित रहता है
• बौरा - पागल
• होइ - हो जाता है
• मंत्र - उपाय

6

निंदक नेडा राखिये, आँगणि कुटी बँधाइ।
बिन साबण पाँणी बिना, निरमल करै सुभाइ।।

Answer

भावार्थ - संत कबीर कहते हैं की निंदा करने वाले व्यक्ति को सदा अपने पास रखना चाहिए, हो सके तो उसके लिए अपने पास रखने का प्रबंध करना चाहिए ताकि हमें उसके द्वारा अपनी त्रुटियों को सुन सकें और उसे दूर कर सकें। इससे हमारा स्वभाव साबुन और पानी की मदद के बिना निर्मल हो जाएगा।

शब्दार्थ:
• निंदक - बुराई करने वाला
• नेड़ा - निकट
• आँगणि - आँगन
• कुटी - कुटिया (झोंपड़ी)
• बँधाइ - बाँधकर
• साबण - साबुन
• पाणी - पानी
• निरमल - पवित्र
• सुभाइ - स्वभाव

7

पोथी पढ़ि-पढ़ि जग मुवा, पंडित भया ना कोइ।
ऐकै अषिर पीव का, पढ़ै सु पंडित होई।।

Answer

भावार्थ - कबीर कहते हैं की इस संसार में मोटी-मोटी पुस्तकें पढ़-पढ़ कर कई मनुष्य मर गए परन्तु कोई भी पंडित ना बन पाया। यदि किसी मनुष्य ने ईश्वर-भक्ति का एक अक्षर भी पढ़ लिया होता तो वह पंडित बन जाता यानी ईश्वर ही एकमात्र सत्य है, इसे जाननेवाला ही वास्तविक ज्ञानी है।

शब्दार्थ:
• पोथी - पुस्तक
• पढ़ि-पढ़ि - पढ़-पढ़ कर
• जग - संसार
• मुवा - मर गया
• भया - हुआ
• ऐकै - एक ही
• कोइ - कोई
• अषिर - अक्षर
• पीव - प्रियतम, ईश्वर

8

हम घर जाल्या आपणाँ, लिया मुराडा हाथि।
अब घर जालौं तास का, जे चले हमारे साथि।।

Answer

भावार्थ - कबीर कहते हैं की उन्होंने अपने हाथों से अपना घर जला लिया है यानी उन्होंने मोह-माया रूपी घर को जलाकर ज्ञान प्राप्त कर लिया है। अब उनके हाथों में जलती हुई मशाल है यानी ज्ञान है। अब वो उसका घर जालयेंगे जो उनके साथ जाना चाहता है यानी उसे भी मोह-माया के बंधन से आजाद होना होगा जो ज्ञान प्राप्त करना चाहता है।

शब्दार्थ:
• जाल्या = जलाया
• आपणाँ = अपना
• मुराड़ा - जलती हुई लकड़ी
• जालौं = जलाऊँ
• तास का - उसका
• जे - जो