मैया मैं नहिं माखन खायो (पद)

NCERT Revision Notes for मैया मैं नहिं माखन खायो पाठ Class 6 Hindi

CBSE NCERT Revision Notes

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पाठ का सार

Answer

श्रीकृष्ण माता यशोदा से कहते हैं कि- हे माता मैंने माखन नहीं खाया है। प्रातः होते ही आप मुझे मधुबन में गौओं के पीछे भेज देती हो। चारों पहर तो मैं वन में भटकता रहता हूँ और शाम को ही मैं घर आता हूँ। मैं तो छोटा बालक हूँ | जिसके छोटे-छोटे हाथ हैं। मैं अपने इन छोटे हाथों से किस प्रकार से छींको (दही रखने का बर्तन ) प्राप्त कर सकता हूँ। सभी ग्वाल-बाल तो मेरे शत्रु हैं जो ये माखन मेरे मुख पर जबरदस्ती लगा देते हैं।


माँ! तू मन की बड़ी भोली है, इनकी बातों में आ जाती है। तेरे दिल में जरूर कोई भेद है, जो मुझे पराया समझकर मुझ पर संदेह कर रही हो । ये ले अपनी लाठी और कम्बल ले ले, इन्होंने मुझे बहुत नाच नचाया है। सूरदास जी कहते हैं तब हँसकर यशोदा ने श्रीकृष्ण को अपने हृदय से लगा लिया ।

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मैया मैं नहिं माखन खायो पाठ का पंक्ति दर पंक्ति स्पष्टीकरण

Answer

यह पद श्रीमद्भागवत महापुराण की रचना से लिया गया है। इसमें भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन किया गया है, जिसमें माता यशोदा और बालकृष्ण के बीच का संवाद है। यहाँ, कृष्ण अपनी माँ यशोदा से यह कहकर सफाई दे रहे हैं कि उन्होंने माखन नहीं खाया। आइए इसे पंक्ति दर पंक्ति हिंदी में समझते हैं :-


1. “मैया मैं नहि माखन खायो।”


अर्थ: श्रीकृष्ण कहते हैं, “माँ, मैंने माखन नहीं खाया है।”


2. “भोर भयो गैयन के पाछे, मधबन मोहि पठायो।”


अर्थ: वे आगे कहते हैं, “सुबह होते ही मुझे गाएँ चराने के लिए मधुबन भेज दिया गया था।”


3. “चार पहर बंसीवट भटक्यो, साँझ परे घर आयो।।”


अर्थ: “मैं चार पहर तक गाँव के बाहर भटकता रहा और शाम होने पर ही घर लौटा हूँ।”


4. “मैं बालक बहियन को छोटो, छीको के हि बिधि पायो।”


अर्थ: “मैं अभी छोटा बच्चा हूँ, मेरे हाथ भी छोटे हैं, ऐसे में मैं कैसे माखन की मटकी तक पहुँच सकता हूँ?”


5. “ग्वाल-बाल सब बैर परे हैं, बरबस मख लपटायो॥”


अर्थ: “ग्वाल बाल (मेरे साथी) मुझसे ईर्ष्या करते हैं और झूठ बोलकर कहते हैं कि मैंने जबरदस्ती माखन खाया है।”


6. “तू माता मन की अति भोरी, इनके कहे पतियायो।”


अर्थ: “माँ, तुम्हारे मन की बात सरल है, तुम इनकी बातों पर विश्वास कर लेती हो।”


7. “जिय तेरे कछु भेद उपजि हैं, जानि परायो जायो॥”


अर्थ: “तुम्हारे दिल में मेरे प्रति कुछ शंका उत्पन्न हो गई है, इसलिए तुमने मुझे अलग कर दिया है।”


8. “ये ले अपनी लकुटि कमरिया, बहुतहि नाच नचायो।”


अर्थ: “अब तुम अपनी लकुटि (छड़ी) और कमरिया (कपड़ा) ले लो, तुमने मुझे बहुत नचाया है (ताने मारते हुए)।”


9. “सरदास तबू बिहसिँ जसोदा, लै उर कंठ लगायो॥”


अर्थ: सूरदास जी कहते हैं कि यशोदा यह सब सुनकर मुस्कुराईं और कृष्ण को गले से लगा लिया।

3

कहानी से शिक्षा

Answer

• सच्चाई और मासूमियत की शक्ति।
• माता-पिता और बच्चों के बीच का स्नेहपूर्ण रिश्ता।
• किसी भी परिस्थिति में सच्चाई का साथ न छोड़ना।
• निर्दोषता की अहमियत और मूल्य।

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कवि परिचय

Answer

यह पद श्रीमद्भागवत महापुराण की रचना से लिया गया है और इसे सूरदास जी ने लिखा है। माना जाता है कि उनका जन्म 15वीं शताब्दी में हुआ था। सूरदास ने अपना अधिकांश जीवन मथुरा, गोवर्धन सहित ब्रज के क्षेत्रों में श्रीकृष्ण के गुणगान में भजन गाते हुए बिताया। उनकी रचनाएँ ब्रजभाषा में उपलब्ध हैं। ये रचनाएँ इतनी सुंदर हैं कि आज भी लोगों के बीच बहुत प्रचलित हैं। उनकी अधिकतर कविताओं में श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का मनोहारी वर्णन है। ये कविताएँ अत्यंत लोकप्रिय हैं और देशभर में प्रेम से गाय हैं। अपनी उत्कृष्ट रचनाओं के लिए वे महाकवि सूरदास कहलाते हैं। उनकी मृत्यु 16वीं शताब्दी में हुई थी।