NCERT Revision Notes for परीक्षा पाठ Class 6 Hindi
CBSE NCERT Revision Notes1
Answer
• दीवान सरदार सुजानसिंह की सेवा निवृत्ति की प्रार्थना।• नए दीवान के लिए विज्ञापन का प्रकाशन।
• सैकड़ों उम्मीदवारों का देवगढ़ में आना।
• उम्मीदवारों की जांच और रहन-सहन।
• किसान की गाड़ी कीचड़ में फंसना।
• एक युवक द्वारा किसान की मदद।
• उम्मीदवारों का चुनाव और पंडित जानकीनाथ का चयन।
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कहानी की शुरुआत :
कहानी की शुरुआत दवेगढ़ रियासत के दीवान, सिध सुजान सिंह, से होती है। वे अपने जीवन के अंतिम पड़ाव पर हैं और अपनी बढ़ती उम्र के कारण अपने पद से सेवानिवृत्त होना चाहते हैं। दीवान साहब, जो वर्षों से रियासत की सेवा कर रहे हैं, राजा से निवेदन करते हैं कि वे उनके स्थान पर एक योग्य उत्तराधिकारी का चयन करें। राजा, दीवान साहब की अनुभवशीलता और उनके प्रति विश्वास को देखते हुए, उन्हें ही नए दीवान का चयन करने की जिम्मेदारी सौंपते हैं
नया दीवान खोजने की प्रक्रिया:
नए दीवान की नियुक्ति के लिए एक सार्वजनिक विज्ञापन जारी किया जाता है। इस विज्ञापन में यह स्पष्ट किया जाता है कि उम्मीदवार को स्नातक होने की अनिवार्यता नहीं है, लेकिन उसे शारीरिक रूप से स्वस्थ, ईमानदार, और जिम्मेदार होना चाहिए। उम्मीदवार को यह भी बताया जाता है कि उसकी योग्यता के साथ-साथ उसके चरित्र का भी परीक्षण किया जाएगा।
विज्ञापन के बाद, देशभर से अनेक उम्मीदवार दवेगढ़ में एकत्रित होते हैं। ये सभी उम्मीदवार विभिन्न प्रकार से अपनी श्रेष्ठता और योग्यताओं को प्रदर्शित करने का प्रयास करते हैं। कुछ लोग अपने कपड़ों और फैशन से, तो कुछ अपने ज्ञान और समझ से, अपनी योग्यताओं का प्रदर्शन करने की कोशिश करते हैं। उम्मीदवार इस सोच में लगे होते हैं कि यदि वे बाहरी रूप से अच्छे दिखें और अपने व्यवहार में श्रेष्ठता दिखाएं, तो उन्हें दीवान के पद के लिए चयनित किया जा सकता है।
किसान की मदद का दृश्य :
कहानी में एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आता है जब सभी उम्मीदवार एक खेल में व्यस्त होते हैं। उसी समय, एक गरीब किसान अपनी गाड़ी लेकर वहां से गुजरता है। दुर्भाग्यवश, उसकी गाड़ी कीचड़ में फंस जाती है और वह उसे बाहर निकालने में असमर्थ होता है। वह बार-बार प्रयास करता है, लेकिन उसकी सारी कोशिशें बेकार जाती हैं। वह आसपास के लोगों से मदद की उम्मीद करता है, लेकिन सभी उम्मीदवार, जो अपनी छवि और प्रतिष्ठा को बनाए रखने में व्यस्त होते हैं, उसकी परेशानी को नजरअंदाज कर देते हैं।
उसी समय, एक युवक, जो खेल के दौरान घायल हो गया था, उस किसान की परेशानी को देखता है। उस युवक के अंदर करुणा और साहस का भाव उमड़ता है। वह बिना किसी हिचकिचाहट के किसान की मदद के लिए आगे बढ़ता है। वह अपने कपड़े उतारकर, पूरी ताकत से गाड़ी को धक्का देने लगता है। अंततः, उसकी मदद से किसान की गाड़ी कीचड़ से बाहर निकल जाती है।
सच्चे नेतृत्व का चयन :
इस घटना को गुप्त रूप से देख रहे दीवान सिध सुजान सिंह, उस युवक की निःस्वार्थता और दयालुता से प्रभावित होते हैं। उन्हें एहसास होता है कि सच्चे नेतृत्व के लिए केवल बाहरी योग्यता नहीं, बल्कि आंतरिक गुण भी आवश्यक हैं। वह युवक, जिसने बिना किसी स्वार्थ के किसान की मदद की, उन्हें रियासत के दीवान के रूप में सही उम्मीदवार लगता है।
अंततः, दीवान साहब राजा के दरबार में सभी उम्मीदवारों के सामने उस युवक को नए दीवान के रूप में घोषित करते हैं। यह घोषणा अन्य उम्मीदवारों को चौंका देती है, क्योंकि वे समझ नहीं पाते कि केवल एक साधारण से दिखने वाले युवक को क्यों चुना गया। लेकिन दीवान साहब स्पष्ट करते हैं कि सच्चा नेता वही है, जिसमें करुणा, साहस, और निःस्वार्थ सेवा की भावना हो।
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हिंदी के एक महान लेखक और कथा – सम्राट के नाम से प्रसिद्ध प्रेमचंद का वास्तविक नाम धनपतराय था । उन्होंने समाज-सुधार और राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत कई कहानियाँ और उपन्यास लिखे। उनकी अनेक कहानियाँ जैसे— ईदगाह, बड़े भाईसाहब, गुल्ली डंडा, दो बैलों की कथा आदि बड़ों और बच्चों के बीच बहुत पढ़ी और सराही गई हैं।4
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कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि सच्चा नेतृत्व वही है जिसमें दया, साहस और आत्मबल हो। बाहरी दिखावा महत्वहीन होता है, जबकि इंसान का आचरण और व्यवहार ही उसकी वास्तविक पहचान होती है। निःस्वार्थ सेवा और परोपकार ही सच्ची मानवता है।