Extra Question Answer for Chapter 10 Class 6 Hindi
Important Questions1
(ii) दीवान पद के लिए केवल ग्रेजुएट ही आवेदन कर सकते थे।
(iii) उम्मीदवारों की जांच एक सप्ताह तक की जानी थी।
(iv) किसान की गाड़ी नाले में फंसी थी।
(v) पंडित जानकीनाथ ने किसान की मदद की थी।
Answer
(i) सही(ii) गलत
(iii) गलत
(iv) सही
(v) सही
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(क) मिस्टर ‘द’
(ख) मिस्टर ‘स’
(ग) मिस्टर ‘ज’
(घ) उपर्युक्त सभी
Answer
(घ) उपर्युक्त सभी3
(क) क्रिकेट
(ख) हॉकी
(ग) फुटबॉल
(घ) वॉलीबॉल
Answer
(ख) हॉकी4
(क) लकड़ी
(ग) अनाज
(ख) कोयला
(घ) बाँस
Answer
(ग) अनाज5
(क) देवगढ़ के राजा ने
(ख) सरदार सुजानसिंह ने
(ग) देगगढ़ की प्रजा ने
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
Answer
(ख) सरदार सुजानसिंह ने6
(ii) दीवान सुजानसिंह ने सेवा निवृत्ति के लिए ____ महाराज से विनय की।
(iii) दीवान की खोज के लिए _____ में विज्ञापन दिया गया।
(iv) दीवान पद के उम्मीदवारों के आचार-विचार की जांच _____ तक की जाएगी।
(v) दीवान के लिए चुने गए व्यक्ति का नाम _____ था।
Answer
(i) सरदार सुजानसिंह(ii) महाराज
(iii) अखबार
(iv) एक महीने
(v) पंडित जानकीनाथ
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(ii) सरदार सुजानसिंह कितने साल तक दीवान रहे?
(iii) दीवान पद के उम्मीदवारों की जांच कितने समय तक हुई?
(iv) किस खेल का आयोजन हुआ?
(v) नए दीवान का नाम क्या था?
Answer
(i) देवगढ़(ii) चालीस
(iii) एक महीने
(iv) हॉकी
(v) पंडित जानकीनाथ
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Answer
सरदार सुजानसिंह ने महाराज से सेवा निवृत्ति की विनय की।9
Answer
किसान की गाड़ी नाले में कीचड़ के कारण फंसी थी।10
Answer
पढ़े-लिखे लोग शतरंज और ताश जैसे गंभीर खेल खेलते थे।11
Answer
जब सरदार सुजानसिंह बूढ़े हुए तो उन्हें परमात्मा की याद आई।12
Answer
एक दिन फैशनवालों को सूझी कि आपस में हॉकी का खेल हो जाए।13
Answer
सुजानसिंह ने 40 वर्षों तक रियासत की सेवा की।14
Answer
उम्मीदवारों ने हॉकी खेलने का प्रस्ताव रखा।15
Answer
राजा साहब अपने दीवान का आदर उनकी अनुभवशीलता तथा नीतिकुशलता के कारण करते थे।16
Answer
उम्मीदवारों को पद के लिए सनद का बंधन नहीं था।17
Answer
दीवान पद के लिए विज्ञापन में यह आवश्यक नहीं था कि वे ग्रेजुएट हों, परंतु हृष्ट-पुष्ट होना आवश्यक था।18
Answer
दीवान के पद के लिए पंडित जानकीनाथ को चुना गया क्योंकि उन्होंने दया, आत्मबल और साहस का परिचय दिया।19
Answer
खेल के दौरान चोट लग जाने के कारण युवक लंगड़ाकर चल रहा था। उसकी निगाह किसान की गाड़ी पर पड़ी तो वह ठिठक गया। किसान की सूरत देखते ही सब बाते ज्ञात हो गईं। उसने डंडा एक किनारे रख दिया। कोट उतार डाला और किसान के पास जाकर बोला – “मैं तुम्हारी गाड़ी निकाल दूँ?”20
Answer
मिस्टर ‘अ’ एक चालाक उम्मीदवार था। वे अपने घर में नौ बजे तक सोया करता था। परंतु यहाँ दिखावे के लिए सूरज की पहली किरण के साथ उठने लगा था।21
Answer
मिस्टर ‘ल’ को किताबों से घृणा थी परंतु यहाँ पर वो दिखावटी व्यवहार कर रहा था। वो अब बड़े-बड़े ग्रंथ देखने-पढ़ने में डूबा रहता था।22
Answer
राजा ने कहा दीवान जी आप एक ही शर्त पर पद से त्यागपत्र दे सकते हैं कि आप राज्य के लिए अपने जैसा होनहार दीवान खोज कर दें।23
Answer
खेल के बाद उम्मीदवार पसीने से तर हो गए थे। खून की गरमी आँख और चेहरे से झलक रही थी और वे हाँफते-हाँफते बेदम हो गए थे।24
Answer
किसान की अनाज से भरी गाड़ी एक नाले में फँस गई थी। नाले में कीचड़ था तथा उसकी चढ़ाई ऊँची थी। लाख कोशिश करने पर भी किसान के बैल चढ़ाई को पा नहीं कर पा रहे थे। इससे किसान बहुत दुखी तथा परेशान था।25
Answer
युवक ने पहिये को जोर लगाकर उकसाया और किसान को बैलों को साधने के लिए कहा, जिससे गाड़ी नाले के ऊपर चढ़ गई।26
Answer
दीवान जी ने मंदाग्नि अर्थात् कमजोर व्यक्ति को इस पद के लिए मना किया क्योंकि दीवान का पद बहुत ही महत्वपूर्ण पद था इसके लिए स्वस्थ व्यक्ति की आवश्यकता थी।27
Answer
घर लौटते समय युवक ने देखा कि एक लाचार किसान अनाज से भरी बैलगाड़ी को नाले से निकालने का भरसक प्रयास कर रहा है परंतु वो नाकाम रहा।28
Answer
देवगढ़ में पढ़े-लिखे भलेमानुस लोग शतरंज और ताश जैसे गंभीर खेल खेलते थे, जबकि दौड़ – कूद के खेल बच्चों के खेल समझे जाते थे।29
Answer
कई खिलाड़ी हाथों में डंडे लिए घूमते-घामते नाले के पास से गुज़र रहे थे। किसान ने उनकी तरफ़ सहमी आँखों से देखा, पर किसी से मदद माँगने का साहस न हुआ। खिलाड़ियों ने भी किसान को देखा, किंतु उन्होंने उसकी कोई मदद नहीं की।30
Answer
संध्या समय राजा साहब का दरबार सजाया गया। शहर के रईस और धनाढ्य लोग, राज्य के कर्मचारी और दरबारी तथा दीवानी के उम्मीदवारों का समूह, सब रंग-बिरंगी सज-धज बनाए दरबार में आ विराजे ! उम्मीदवारों के कलेजे धड़क रहे थे।31
Answer
अंत मे सरदार सुजानसिंह ने खड़े होकर कहा, “मेरे दीवानी के उम्मीदवार महाशयो ! मैंने आप लोगों को जो कष्ट दिया है, उसके लिए मुझे क्षमा कीजिए। इस पद के लिए ऐसे पुरुष की आवश्यकता थी, जिसके हृदय में दया हो और साथ-साथ आत्मबल । हृदय वह जो उदार हो, आत्मबल वह जो आपत्ति का वीरता के साथ सामना करे और इस रियासत के सौभाग्य से हमें ऐसा पुरुष मिल गया। ऐसे गुणवाले संसार में कम हैं और जो हैं, वे कीर्ति और मान के शिखर पर बैठे हुए हैं, उन तक हमारी पहुँच नहीं । मैं रियासत के पंडित जानकीनाथ को दीवानी पाने पर बधाई देता हूँ।’32
Answer
सरदार सुजानसिंह ने इन महानुभावों के आदर-सत्कार का बड़ा अच्छा प्रबंध कर दिया था। हर एक मनुष्य अपने जीवन को अपनी बुद्धि के अनुसार अच्छे रूप में दिखाने की कोशिश करता था। मिस्टर ‘अ’ नौ बजे दिन तक सोया करते थे, आजकल वे बगीचे में टहलते हुए ऊषा के दर्शन करते थे। मिस्टर ‘द’ , ‘स’ और ‘ज’ से उनके घरों पर, नौकरों की नाक में दम था, लेकिन ये सज्जन आजकल ‘आप’ और ‘जनाब’ के बगैर नौकरों से बातचीत नहीं करते थे। मिस्टर ‘ल’ को किताब से घृणा थी, परंतु आजकल वे बड़े-बड़े ग्रंथ देखने-पढ़ने में डूबे रहते थे। जिससे बात कीजिए, वह नम्रता और सदाचार का देवता बना मालूम देता था। लोग समझते थे कि एक महीने का झंझट है, किसी तरह काट लें, कहीं कार्य सिद्ध हो गया तो कौन पूछता है ?33
Answer
अँधेरा हो गया था। इस मैदान से ज़रा दूर हटकर एक नाला था। उस पर कोई पुल न था । पथिकों को नाले में से चलकर आना पड़ता था। खेल अभी बंद ही हुआ था और खिलाड़ी लोग बैठे दम ले रहे थे कि एक किसान अनाज से भरी हुई गाड़ी लिए हुए उस नाले में आया। लेकिन कुछ तो नाले में कीचड़ था और कुछ उसकी चढ़ाई इतनी ऊँची थी कि गाड़ी ऊपर न चढ़ सकती थी। वह कभी बैलों को ललकारता, कभी पहियों को हाथ से ढकेलता, लेकिन बोझ अधिक था और बैल कमज़ोर । गाड़ी ऊपर को न चढ़ती और चढ़ती भी तो कुछ दूर चढ़कर फिर खिसककर नीचे पहुँच जाती। किसान बार- बार ज़ोर लगाता और बार-बार झुंझलाकर बैलों को मारता, लेकिन गाड़ी उभरने का नाम न लेती। बेचारा इधर-उधर निराश होकर ताकता मगर वहाँ कोई सहायक नज़र नं आता। गाड़ी को अकेले छोड़कर कहीं जा भी नहीं सकता। बड़ी आपत्ति में फँसा हुआ था। इसी बीच में खिलाड़ी हाथों में डंडे लिए घूमते-घामते उधर से निकले। किसान ने उनकी तरफ सहमी हुई आँखों से देखा ; परंतु किसी से मदद माँगने का साहस न हुआ। खिलाड़ियों ने भी उसको देखा मगर बंद आँखों से, जिनमें सहानुभूति न थी। उनमें स्वार्थ था, मद था, मगर उदारता और वात्सल्य का नाम भी न था ।34
Answer
सुजानसिंह ने बताया कि किस प्रकार पंडित जानकीनाथ ने घायल होने के बाद भी अपनी परवाह ना करके गरीब, लाचार किसान की मदद की और अपने पूरे बल से उसकी बैलगाड़ी नाले से बाहर निकाल दी। सुजानसिंह ने कहा कि ऐसा इंसान कभी गरीबों को नहीं सताएगा और हमेशा धर्म तथा दया के मार्ग पर चलेगा।35
जब रियासत देवगढ़ के दीवान सरदार सुजानसिंह बूढ़े हुए तो परमात्मा की याद आई। जाकर महाराज से विनय की कि दीनबंधु ! दास ने श्रीमान की सेवा चालीस साल तक की, अब मेरी अवस्था भी ढल गई, राज-काज सँभालने की शक्ति नहीं रही। कहीं भूल चूक हो जाय तो बुढ़ापे में दाग लगे। सारी जिंदगी की नेकनामी मिट्टी में मिल जाए । राजा साहब अपने अनुभवशील नीतिकुशल दीवान का बड़ा आदर करते थे। बहुत समझाया, लेकिन जब दीवान साहब ने माने तो हारकर उनकी प्रार्थना स्वीकार कर ली; पर शर्त यह लगा दी कि रियासत के लिए नया दीवान आप ही को खोजना पड़ेगा।
(क) सरदार सुजानसिंह कहाँ के दीवान थे ?
(i) रामगढ़ रियासत के
(ii) नवगढ़ रियासत के
(iii) प्रेमगढ़ रियासत के
(iv) देवगढ़ रियासत के
(ख) दीवान जी ने महाराज से क्या विनती की?
(i) अपनी प्रोन्नति की
(ii) अपनी सेवा–निवृत्ति की
(iii) पारितोषिक की
(iv) अपने पुत्र की नियुक्ति की
(ग) दीवान ने रियासत की सेवा कितने दिनों तक की थी?
(i) चालीस साल
(ii) पैंतालीस साल
(iii) पचास साल
(iv) पचपन साल
(घ) राजा साहब ने दीवान साहब को कौन-सा उत्तरदायित्व सौंपा ?
(i) राज्य की प्रजा को समझाने का
(ii) सेना को संगठित करने का
(iii) राजदरबार आयोजित करने का
(iv) नए दीवान के चयन का
Answer
(क) (iv) देवगढ़ रियासत के(ख) (ii) अपनी सेवा–निवृत्ति की
(ग) (i) चालीस साल
(घ) (iv) नए दीवान के चयन का
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रियासत देवगढ़ में यह खेल बिल्कुल निराली बात थी। पढ़े-लिखे भलेमानुस लोग शतरंज और ताश जैसे गंभीर खेल खेलते थे। दौड़-कूद के खेल बच्चों के खेल समझे जाते थे। खेल बड़े उत्साह से जारी था। धावे के लोग जब गेंद को लेकर तेज़ी से उड़ते तो ऐसा जान पड़ता था कि कोई लहर बढ़ती चली आती है। लेकिन दूसरी ओर के खिलाड़ी इस बढ़ती हुई लहर को इस तरह रोक लेते थे कि मानो लोहे की दीवार है। संध्या तक यही धूमधाम रही। लोग पसीने से तर हो गए। खून की गरमी आँख और चेहरे से झलक रही थी। हाँफते – हाँफते बेदम हो गए, लेकिन हार-जीत का निर्णय न हो सका। (पृष्ठ 107-108)
(क) खेल में हार-जीत का निर्णय क्यों नहीं हो सका?
(ख) दूसरी टीम गेंद को किस प्रकार रोकती थी ?
(ग) पढ़े-लिखे लोग प्राय: कैसे खेल खेलते थे?
(घ) गेंद को लेकर तेजी से भागते लोग किसकी तरह दिखते थे?
Answer
(क) खेल में दोनों टीमों के सदस्यों ने अच्छा. खेला संध्या होने तक भी कोई एक-दूसरे को हरा नहीं पाया; इसलिए हार-जीत का निर्णय नहीं हो पाया।(ख) दूसरी टीम गेंद को लेकर बढ़ती हुई लोगों की लहर को ऐसे रोक लेती थी मानो लोहे की दीवार हो ।
(ग) पढ़े-लिखे लोग शतरंज और ताश जैसे गंभीर खेल खेलते थे।
(घ) गेंद को लेकर तेजी से भागते लोग लहर तरह दिखते थे
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इस विज्ञापन ने सारे मुल्क में तहलका मचा दिया। ऐसा ऊँचा पद और किसी प्रकार की कैद नहीं? केवल नसीब का खेल है। सैकड़ों आदमी अपना-अपना भाग्य परखने के लिए चल खड़े हुए। देवगढ़ में नए-नए और रंग-बिरंगे मनुष्य दिखाई देने लगे। प्रत्येक रेलगाड़ी से उम्मीदवारों का एक मेला- सा उतरता । कोई पंजाब से चला आता था, कोई मद्रास से, कोई नए फैशन का प्रेमी, कोई पुरानी सादगी पर मिटा हुआ । रंगीन एमामे, चोगे और नाना प्रकार के अंगरखे और कंटोप देवगढ़ में अपनी सज-धज दिखाने लगे। लेकिन सबसे विशेष संख्या ग्रेजुएटों की थी, क्योंकि सनद की कैद न होने पर भी सनद से परदा तो ढका रहता है।
(क) किसने सारे मुल्क में तहलका मचा दिया?
(i) राजा साहब ने
(ii) दीवान साहब ने
(iii) देवगढ़ ने
(iv) विज्ञापन ने
(ख) अलग-अलग भाग्य परखने कौन चल पड़े?
(i) राजा-महाराजा
(ii) मंत्रीगण
(iii) सैनिक
(iv) सैकड़ों आदमी
(ग) दीवान के पद हेतु उम्मीदवारों का मेला किससे उतरता था?
(i) मोटरगाड़ी से
(ii) रेलगाड़ी से
(iii) बैलगाड़ी, से
(iv) इनमें सभी
(घ) उम्मीदवारों में सबसे विशेष संख्या किसकी थी?
(i) मैट्रिक उत्तीर्णों की
(ii) ग्रेजुएटों की
(iii) पोस्ट ग्रेजुएटों की
(iv) इनमें से कोई नहीं
Answer
(क) (iv) विज्ञापन ने(ख) (iv) सैकड़ों आदमी
(ग) (ii) रेलगाड़ी से
(घ) (i) मैट्रिक उत्तीर्णों की
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अँधेरा हो गया था। इस मैदान से ज़रा दूर हटकर एक नाला था। उस पर कोई पुल न था । पथिकों को नाले में से चलकर आना पड़ता था। खेल अभी बंद ही हुआ था. और खिलाड़ी लोग बैठे दम ले रहे थे कि एक किसान अनाज से भरी हुई गाड़ी लिए हुए उस नाले में आया। लेकिन कुछ तो नाले में कीचड़ था और कुछ उसकी चढ़ाई इतनी ऊँची थी कि गाड़ी ऊपर न चढ़ सकती थी । वह कभी बैलों को ललकारता, कभी पहियों को हाथ से ढकेलता, लेकिन बोझ अधिक था और बैल कमज़ोर । गाड़ी ऊपर को न चढ़ती और चढ़ती भी तो कुछ दूर चढ़कर फिर खिसककर नीचे पहुँच जाती। किसान बार- बार ज़ोर लगाता और बार-बार झुंझलाकर बैलों को मारता, लेकिन गाड़ी उभरने का नाम न लेती। बेचारा इधर-उधर निराश होकर ताकता मगर वहाँ कोई सहायक नज़र न आता। गाड़ी को अकेले छोड़कर कहीं जा भी नहीं सकता। बड़ी आपत्ति में फँसा हुआ था। इसी बीच में खिलाड़ी हाथों में डंडे लिए घूमते-घामते उधर से निकले।
(क) मैदान से जरा दूर हटकर क्या था ?
(i) नाला
(ii) पुल
(iii) गाँव
(iv) स्टेशन
(ख) नाले में कौन आया ?
(i) खिलाड़ी
(ii) बाघ
(iii) महिला
(iv) किसान
(ग) किसान की बैलगाड़ी ऊपर क्यों नहीं चढ़ पा रही थी?
(i) नाले में कीचड़ के कारण
(ii) नाले की ऊँचाई अधिक होने के कारण
(iii) बैलों के कमज़ोर होने के कारण
(iv) उपर्युक्त सभी
(घ) किसान बार-बार झुंझलाकर किसे मार रहा था ?
(i) बैलों को
(ii) पहियों को
(iii) अपने सिर को
(iv) इनमें से कोई नहीं
Answer
(क) (i) नाला(ख) (iv) किसान
(ग) (iv) उपर्युक्त सभी
(घ) (i) बैलों को
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लेकिन उसी समूह में एक ऐसा मनुष्य था, जिसके हृदय में दया थी और साहस था। आज हॉकी खेलते हुए उसके पैरों में चोट लग गई थी। लँगड़ाता हुआ धीरे-धीरे चला आता था। अकस्मात उसकी निगाह गाड़ी पर पड़ी। ठिठक गया। उसे किसान की सूरत देखते ही सब बातें ज्ञात हो गईं। डंडा एक किनारे रख दिया। कोट उतार डाला और किसान के पास जाकर बोला, “मैं तुम्हारी गाड़ी निकाल दूँ?”
किसान ने देखा एक गठे हुए बदन का लंबा आदमी सामने खड़ा है। झुककर बोला, “हुजूर, मैं आपसे कैसे कहूँ?” युवक ने कहा, “ मालूम होता है, तुम यहाँ बड़ी देर से फँसे हो। अच्छा, तुम गाड़ी पर जाकर बैलों को साधो, मैं पहियों को ढकेलता हूँ, अभी गाड़ी ऊपर चढ़ जाती है।
(क) दयालु और साहसी व्यक्ति कौन था ?
(ख) उस व्यक्ति को कैसे चोट लग गई थी ?
(ग) युवक की निगाह किस पर गई ?
(घ) युवक का हुलिया कैसा था?
(ङ) दिए गए शब्दों का अर्थ लिखकर वाक्य बनाइए
(i) समूह
(ii) अकस्मात
Answer
(क) दयालु और साहसी व्यक्ति खिलाड़ियों के समूह का एक नौजवान था ।(ख) उस व्यक्ति को हॉकी खेलते हुए पैरों में चोट लग गई थी।
(ग) युवक की निगाह किसान की गाड़ी पर गई ।
(घ) युवक गठे हुए बदन का लंबा आदमी था ।
(ङ) (i) समूह: बच्चे समूह में सस्वर गीत गा रहे थे।
(ii) अकस्मात: ऑफ़िस के काम से पिता जी को अकस्मात मुंबई जाना पड़ा।
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दूसरे दिन देश के प्रसिद्ध पत्रों में यह विज्ञापन निकला कि देवगढ़ के लिए एक सुयोग्य दीवान की ज़रूरत है। जो सज्जन अपने को इस पद के योग्य समझें, वे वर्तमान सरकार सुजानसिंह की सेवा में उपस्थित हों। यह ज़रूरी नहीं है कि वे ग्रेजुएट हों, मगर हृष्ट-पुष्ट होना आवश्यक है, मंदाग्नि के मरीज को यहाँ तक कष्ट उठाने की कोई ज़रूरत नहीं। एक महीने तक उम्मीदवारों के रहन-सहन, आचार-विचार की देखभाल की जाएगी। विद्या का कम, परंतु कर्तव्य का अधिक विचार किया जायेगा। जो महाशय इस परीक्षा में पूरे उतरेंगे, वे इस उच्च पद पर सुशोभित होंगे।
(क) देवगढ़ में किस बात के लिए विज्ञापन निकाला गया था?
(ख) उम्मीदवारों की किस बात पर विचार किया जाना था?
(ग) उम्मीदवारों के लिए क्या जरूरी नहीं और क्या जरूरी था?
(घ) ‘मंदाग्नि’ का अर्थ है?
Answer
(क) देवगढ़ में सुयोग्य दीवान के चयन के लिए विज्ञापन निकाला गया था।(ख) उम्मीदवारों की विद्या कम, परंतु कर्तव्य पर अधिक विचार किया जाना था।
(ग) उम्मीदवारों के लिए ग्रेजुएट होना जरूरी नहीं था । परंतु हृष्ट-पुष्ट होना आवश्यक था।
(घ) ‘मंदाग्नि’ का अर्थ है कमजोर व्यक्ति।
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किसान गाड़ी पर जा बैठा। युवक ने पहिये को ज़ोर लगाकर उकसाया। कीचड़ बहुत ज्यादा था। वह घुटने तक ज़मीन में गड़ गया, लेकिन हिम्मत न हारी। उसने फिर ज़ोर किया, उधर किसान ने बैलों को ललकारा। बैलों को सहारा मिला, हिम्मत बँध गई, उन्होंने कंधे झुकाकर एक बार ज़ोर किया तो गाड़ी नाले के ऊपर थी। किसान युवक के सामने हाथ जोड़कर खड़ा हो गया। बोला, “महाराज, आपने आज मुझे उबार लिया, नहीं तो सारी रात मुझे यहाँ बैठना पड़ता।”युवक ने हँसकर कहा, अब मुझे कुछ इनाम देते हो?” किसान ने गंभीर भाव से कहा, “नारायण चाहेंगे तो दीवानी आपको ही मिलेगी । ”
(क) किसने पहिये को ज़ोर लगाकर उकसाया ?
(i) किसान ने
(ii) नवयुवक ने
(iii) पथिक ने
(iv) इनमें सभी
(ख) युवक घुटने तक ज़मीन में क्यों गड़ गया ?
(i) गड्ढा के कारण
(ii) कीचड़ के कारण
(iii) पैर में चोट लगने के कारण
(iv) इनमें से कोई नहीं
(ग) बैलों को किसने ललकारा ?
(i) किसान ने
(ii) युवक ने
(iii) किसान और युवक दोनों ने
(iv) इनमें से कोई नहीं
(घ) निम्नलिखित में से कौन-सा किसान का पर्यायवाचीनहीं है?
(i) कर्मचारी
(ii) कृषक
(iii) हलधर
(iv) खेतिहर
Answer
(क) (ii) नवयुवक ने(ख) (ii) कीचड़ के कारण
(ग) (i) किसान ने
(घ) (i) कर्मचारी