रीढ़ की हड्डी

Revision Notes for Chapter 3 रीढ़ की हड्डी Class 9 Kritika

CBSE NCERT Revision Notes

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पाठ परिचय

Answer

यह एकांकी ‘रीढ़ की हड्डी’ श्री जगदीश चन्द्र माथुर द्वारा रचित है जो लड़की के विवाह की एक सामाजिक समस्या पर आधरित है। इस एकांकी में कुल छह पात्र हैं-रामस्वरूप, उनका नौकर रतन, रामस्वरूप की पत्नी प्रेमा, उनकी बेटी उमा, शंकर के पिता गोपाल प्रसाद तथा शंकर। पूरा एकांकी एक कमरे में खेला गया है।

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सारांश 1

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उमा को देखने के लिए गोपाल प्रसाद और उनका लड़का शंकर आने वाले हैं। रामस्वरूप और उनका नौकर कमरे को सजाने में लगे हुए हैं। तख़्त पर दरी और चादर बिछाकर, उस पर हारमोनियम रखा गया है। नाश्ता आदि भी तैयार किया गया है। इतने में ही वहाँ प्रेमा आती है और कहती है कि तुम्हीं ने उसे पढ़ा-लिखाकर सिर चढ़ा रखा है। वह न तो पाउडर लगाने को तैयार है और न शादी के लिए उत्साहित है। वह एंट्रेंस पास कर लेती तो इतना ही काफी था। रामस्वरूप प्रेमा से कहते हैं कि गोपाल प्रसाद को हरगिज पता नहीं चलना चाहिए कि उमा बी.ए. पास है, उसे मैट्रिक पास बताना।

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सारांश 2

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रामस्वरूप कहते हैं कि लड़के वाले दकियानूसी विचारों वाले हैं। उन्हें पढ़ी-लिखी लड़की नहीं चाहिए। गोपाल प्रसाद पेशे से वकील हैं तथा सभा-सोसाइटियों में अच्छी इज्जत रखते हैं। उनका लड़का बी.एससी. कर मेडिकल कॉलेज में पढ़ रहा है, परन्तु वह भी अधिक पढ़ी-लिखी बहू नहीं चाहता है। रामस्वरूप पत्नी से कहते हैं कि तुम उमा को ठीक समझा-बुझाकर यहाँ पर भेज देना।

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सारांश 3

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नौकर जल्दी से हारमोनियम को ठीक जगह पर रखकर मक्खन लेने चले जाता है। गोपालप्रसाद अपने बेटे शंकर के साथ आते हैं। रामस्वरूप विनम्रतापूर्वक उनका स्वागत करते हैं और उन्हें बिठाते हैं। लड़के शंकर की रीढ़ कुछ झुकी हुई है। गोपाल प्रसाद कहते हैं कि अच्छा तो साहब ‘बिजनेस’ की बातचीत की जाए। वे शादी-विवाह को एक ‘बिजनेस’ मानते हैं। रामस्वरूप उमा को बुलाने के लिए जाते हैं तभी पीछे से गोपाल प्रसाद अपने बेटे शंकर से कहते हैं कि आदमी तो भला है। मकान-वकान से हैसियत बुरी नहीं लगती है, पर यह तो पता चले कि लड़की कैसी है? वे अपने बेटे को झुककर बैठने पर डाँटते हैं।

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सारांश 4

Answer

रामस्वरूप दोनों को नाश्ता कराते हैं और इध्र-उध्र की बातें भी करते हैं। गोपाल प्रसाद लड़की की सुंदरता के बारे में पूछते हैं तो रामस्वरूप् कहते हैं, वह तो आप खुद देख लीजिएगा। फिर जन्मपत्रियों के मिलाने  की बात चलती है तो रामस्वरूप कहते हैं कि मैंने उन्हें भगवान के चरणों में रख दिया है, आप उन्हें मिला हुआ ही समझ लीजिए। बातचीत के साथ ही गोपाल प्रसाद लड़की की पढ़ाई-लिखाई के बारे में भी पूछना चाहते हैं। वे कहते हैं कि हमें तो मैट्रिक पास बहू चाहिए। मुझे उससे नौकरी तो करानी नहीं है। लड़कियाँ घर चलाने एवं काम करने के लिए होती हैं, उनका अधिक पढ़ना-लिखना अच्छा नहीं रहता है।

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सारांश 5

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उमा का कमरे में आगमन-उमा तश्तरी में पान रखकर उस कमरे में आती है। उसके कपड़े सादे हैं और आँखों पर चश्मा है। गोपालप्रसाद उमा की चाल और चेहरा देखते हैं। उसका चश्मा देखते ही वे चौंक पड़ते हैं। उन्हें उमा की शिक्षा पर सन्देह होता है तो वे दुबारा उसकी शिक्षा के बारे में जानना चाहते हैं। रामस्वरूप चश्मा लगाने की वजह को स्पष्ट कर देते हैं। दोनों संतुष्ट हो जाते हैं। गोपाल प्रसाद उमा की चाल, चेहरे की छवि देखते हुए गाने-बजाने के बारे में भी पूछते हैं। सितार उठाकर गीत सुनाती हुई उमा की नज़र उस लड़के पर पड़ती है तो वह उसे पहचान कर गाना बदं कर देती है। फिर उमा से उसकी पेंटिंग-सिलाई के बारे में पूछा जाता है।

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सारांश 6

Answer

तब गोपाल प्रसाद उमा से कुछ इनाम जीतने के संबंध में पूछते हैं| उमा चुप रहती है, केवल रामस्वरूप सफाई देते हैं कि यह बेचारी शरमाती है। गोपाल प्रसाद रूखे स्वर में कहते हैं कि जरा इसे भी तो मुँह खोलना चाहिए। तब उमा दृढ़ स्वर में कहती है कि जब कुर्सी-मेज बिकती है तो खरीददार उन्हें देख लेता है, वह कुर्सी-मेज से कोई प्रश्न नहीं पूछता है। पसन्द आ गई तो अच्छा, वरना.....। ये महाशय मेरे खरीददार बनकर आये हैं, जरा इनसे पूछिये कि क्या लड़कियों के दिल नहीं होता? क्या वे बेबस भेड़-बकरियाँ हैं?

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सारांश 7

Answer

उमा की बातें सुनकर गोपाल प्रसाद को उसकी शिक्षा पर सन्देह होता है। वे पुनः रामस्वरूप से पूछते हैं, तो उमा तुरन्त जवाब देती है कि "हाँ, मैंने बी.ए. पास किया है, कोई चोरी नहीं की।" वह शंकर के बारे में कहती है कि "यह पिछली फरवरी में लड़कियों के हॉस्टल के आसपास घूमते हुए पकड़ा गया था। उस समय उसने नौकरानी के पैर भी पकड़े थे। मैं इसकी तरह कायर नहीं हूँ। मुझे अपनी इज्जत और मान का ख्याल है।"

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सारांश 8

Answer

गोपाल प्रसाद क्रोधित होकर रामस्वरूप से कहते हैं कि यह सरासर धोखा है। आपकी लड़की बी.ए. पास? मुझे बताया मैट्रिक पास? झूठ का भी कुछ ठिकाना है । वे अपने लड़के के साथ जाने लगते हैं, तो उमा आखिरी चोट करती हुई कहती है-जाइये, घर जाकर जरा यह पता लगाइये कि आपके लाड़ले बेटे की रीढ़ की हड्डी भी है या नहीं?

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सारांश 9

Answer

गोपालप्रसाद अपमानित होकर चले जाते हैं। रामस्वरूप धम से सोफे पर बैठ जाते हैं। प्रेमा आकर कहती है कि उमा रो रही है। कथानक समाप्त हो जाता है।