Revision Notes for Chapter 4 माटी वाली Class 9 Kritika
CBSE NCERT Revision Notes1
पाठ परिचय
Answer
'माटी वाली' कहानी में विद्यासागर नौटियाल ने विस्थापन की समस्या से श्रमिक वर्ग को किस तरह जूझना पड़ रहा है, इसका मार्मिक चित्रण किया है।
2
सारांश 1
Answer
टिहरी शहर का हर आदमी, मकान मालिक, किराएदार, बूढ़े-बच्चे सभी माटी वाली को जानते हैं। टिहरी शहर में लाल मिट्टी देने वाली वह अकेली ही है। उसका कोई प्रतिद्वंद्वी नहीं है। उसके बगैर तो लगता है कि टिहरी शहर में चूल्हा जलना ही बंद हो जाएगा। भोजन के बाद समस्या उत्पन्न हो जाएगी क्योंकि पूरे शहर में चैाके-चूल्हे की लिपाई से लेकर कमरों तथा मकानों की लिपाई-पुताई के लिए लाल मिट्टी वही देती है। मकान मालिकों के साथ-साथ नए किराएदार भी एक बार अपने आँगन में माटी वाली को देख उसके ग्राहक बन जाते हैं क्योंकि वह माटी वाली हरिजन बुढ़िया घर-घर जाकर मिट्टी देने का काम करती है।
3
सारांश 2
Answer
शहरवासी र्सिफ मिट्टी वाली को ही नहीं, बल्कि उसके कंटर (कनस्तर) को भी पहचानते हैं। उसका कनस्तर बिना ढक्कन का होता है और उसके सिर पर रखे एक डिल्ले पर टिका रहता है। माटी वाली का पति बूढ़ा एवं अशक्त था। वह बीमार पड़ा रहता था। माटी वाली जिन घरों में मिट्टी देती थी, उन घरों की महिलाएँ उसे दो रोटी और कभी-कभी चाय भी देती थीं।
4
सारांश 3
Answer
मिट्टी का कंटर उसने ज़मीन पर रखा ही था कि सामने वाले घर की एक छोटी लड़की कामिनी दौड़कर आई और बोली की माँ ने बुलाया है।मालकिन के कहने पर माटी वाली ने माटी घर के कोने में उड़ेल दी। मालकिन ने उससे कहा कि तुम बड़ी भाग्यवान हो, चाय के टाइम पर आई हो। मकान मालकिन ने उसे दो रोटी लाकर दी और चाय लेने रसोई में चली गई। जब तक मालकिन चाय लेकर आई तब तक माटी वाली ने एक रोटी डिल्ले में अपने बुड्ढे के लिए छुपा ली और झूठ-मूठ का मुँह चलाकर खाना खाने का दिखावा करने लगी। फिर एक राटी चाय के साथ खाली। माटी वाली पीतल का गिलास देखकर मालकिन से बोली, ‘‘आपने अभी तक पीतल के गिलास सँभालकर रखे हैं ! ’’ इस पर मालकिन ने कहा कि ये बतर्न पुरखों की गाढी़ कमाई से खरीदे गए हैं। इसलिए इन्हें हराम के भाव बेच देने को मेरा मन नहीं करता। आज इन चीशों की कीमत नहीं रह गई। बाजार में पीतल के दाम पूछो तो दिमाग चकराने लगता है। व्यापारी घरों से हराम के भाव ये बरतन ले जाते हैं। अपनी चीजों का मोह बहुत बुरा होता है। मैं यह सोचकर पागल हो जाती हूँ कि इस उमर में इस शहर को छोड़कर हम कहाँ जाएँगे। माटी वाली कहती है कि ठकुराइन जी, शमीन-जायदादों वाले तो कहीं भी रह लेंगे। परंतु मेरा क्या होगा। मेरी तरफ तो कोई देखने वाला भी नहीं है।
5
सारांश 4
Answer
माटी वाली चाय पीकर सामने वाले घर में चली गई। उस घर में भी कल हर हालत में मिट्टी ले आने के आदेश के साथ उसे दो रोटियाँ मिल गईं। उन रोटियों को माटी वाली ने अपने बुड्ढे के लिए कपड़े के दूसरे छोर पर बाँध लिया। वह सोचती है कि इन रोटियों को देखकर उसके बुड्ढे का चेहरा खिल उठेगा। अभी घर तक जाने में उसे एक घंटा लगेगा। माटाखान से मिट्टी लाने में पूरा दिन लग जाता है। आज वह अपने बुड्ढे को रूखी रोटी नहीं देगी। पहले वह प्याज को कुटकर तल देगी, फिर रोटी दिखाएगी। सब्जी और दो रोटियाँ अपने बुड्ढे को परोस देगी। वह एक ही रोटी खा पाएगा। हद से हद डेढ़। बची डेढ़ रोटी से वह अपना काम चला लेगी।
6
सारांश 5
Answer
इस प्रकार हिसाब लगाती हुई वह घर पहुँची। परन्तु जब बूढ़े ने उसकी ओर न देखा, तो वह चौंक गई। पास गई तो छूने से पता चला कि वह मर चुका था। टिहरीवासियों का विस्थापन-टिहरी में बाँध का निर्माण होने से पुनर्वास विभाग के अधिकारी घर-घर जाकर जमीन-जायदाद के कागज देखने लगे। लोग तहसील में जाकर अपने-अपने कागज दिखाने लगे। परन्तु माटी वाली के पास ऐसा कोई कागज नहीं था। आजीवन माटाखान से मिट्टी खोदकर बेचने वाली उस मजदूरनी बुढ़िया के पास घर-जमीन का प्रमाण-पत्र कहाँ से होता? माटाखान भी उसके नाम नहीं था, ऐसे में उसे सरकारी मदद भी नहीं मिल सकती थी।
7
सारांश 6
Answer
कुछ दिनों बाद टिहरी बाँध की दो सुरंगों को बन्द कर दिया गया। टिहरी शहर पानी में डूबने लगा तो शहरवासी अपने घरों को छोड़कर वहाँ से भागने लगे। पानी भरने से सबसे पहले कुल श्मशान घाट डूब गये। तब माटी वाली अपनी झोंपड़ी के बाहर बैठी हर आने-जाने वाले से यही कहती जा रही थी-"गरीब आदमी का श्मशान नहीं उजड़ना चाहिए।"