ग्राम श्री

Revision Notes for Chapter 13 ग्राम श्री Class 9 Kshitiz

CBSE NCERT Revision Notes

1

पाठ परिचय

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‘ग्राम श्री’ कविता में सुमित्रानंदन पंत ने गंगा के किनारे के एक खेत का मनोरम चित्रण किया है। कविता में जाड़े के मौसम का अंत तथा वसंत ऋतू का आगमन का दृश्य प्रस्तुत किया गया है।

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सारांश 1

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कवि कहते हैं कि गाँव के खेतों में चारों तरफ दूर-दूर तक हरियाली फैली हुई है। सूर्य की किरणें जब खेतों में फैली हरियाली पर पड़ती हैं तो हरियाली चमक पड़ती है। ऊपर झुका हुआ नीला आकाश अति सुंदर लगता है। पूरी ध्रती रोमांचित प्रतीत होती है। गेहूँ तथा जौ की बालियाँ उसका रोमांच हैं। अरहर और सनई की फलियाँ पृथ्वी की करध्नी का कार्य कर रही हैं। चारों ओर खेतों में फूली सरसों उसका शृंगार कर रही है तथा हवा में तैलाक्त गंध् उसके द्वारा लगाए इत्र का कार्य कर रही है। तीसी का नीला पूफल पृथ्वी द्वारा प्रयुक्त नीलमणि का कार्य कर रहा है।

3

सारांश 1

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खेतों में मटर के पौधे अपने बीजों को छिपाकर हंस रही हैं और रंग बिरंगी तितलियाँ फूलों के ऊपर मंडरा रही हैं जिसे देखकर ऐसा लगता है जैसे किसी ने रंगों की छठा बिखेरी दी हो। आम के पेड़ों पर सुनहरी मंजरियाँ आ गई हैं। ढाक तथा पीपल के पत्ते झड़ गए हैं। कोयल मतवाली होकर कूक रही है। कटहल, जामुन, झरबेरी, आड़ू, नींबू तथा अनार आदि पफल वाले वृक्षों में पूफल तथा पफल आ गए हैं। सब्शियों वाले खेतों में आलू, गोभी, बैंगन मूली व पालक लहलहा रही हैं। अमरूद अच्छी तरह से पक गए हैं उनमें लाल-लाल चित्तियाँ भी पड़ गई हैं। बेर पक चुके हैं। आँवले के पफलों से डालियाँ ढक गई हैं। चारों ओर लौकी तथा सेम की फलियाँ भी दिखाई देने लगी हैं। टमाटरों का रंग मखमली लाल हो गया है। मिर्चों के गुच्छे हरी-हरी थैलियों जैसे लग गए हैं।

4

सारांश 1

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गंगा के तट पर पड़े बालू के टीले ऐसे लगते हैं मानो लम्बे-लम्बे सांप पड़े हों तथा तरबूजे की खेती भी मन को भा रही है। पास में बगुला अपनी अँगुलियों से अपने कलगी में कंघी कर रहा है तथा मगरमच्छ पानी में अलसाया सोया पड़ा है। कुल मिलाकर कवि ने पुरे वातावरण का सजीव चित्रण किया है जो की बहुत ही मनोहारी है।