चंद्र गहना से लौटती बेर (Not in Syllabus)

Revision Notes for Chapter 14 चंद्र गहना से लौटती बेर Class 9 Kshitiz

CBSE NCERT Revision Notes

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पाठ परिचय

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‘चंद्र गहना से लौटती बेर’ कविता केदारनाथ अग्रवाल के द्वारा लिखी गई है जिसमें वे प्रकॄति के प्रति गहरा अनुराग व्यक्त कर रहे हैं।

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सारांश 1

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वह चंद्र गहना नामक स्थान से लौट रहा है। लौटते हुए उसके किसान मन को खेत-खलिहान एवं उनका प्राकृतिक परिवेश सहज आकर्षित कर लेता है। उसे एक ठिगना चने का पौधा दिखता है, जिसके सर पर गुलाबी फूल पगड़ी के समान लगता है। वह उसे दुल्हे के समान प्रतीत होता है।

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सारांश 2

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वहीं पास में अलसी का पौधा है, जो सुन्दर युवती की भांति लगता है। खेत में सरसों का पौधा विवाह योग्य लड़की के समान लगता है। खेतों के समीप से रेल भी होकर गुजरती है। पास में तालाब की शोभा देखने लायक है। तालाब के किनारे पर पत्थर पड़े हुए हैं, मछली की ताक में बगुला चुपचाप खड़ा है। दूर सारस के जोड़े का स्वर सुनाई दे रहा है। यह सब कवि का मन मोह लेते हैं।

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सारांश 3

Answer

इस कविता में कवि की उस सृजनात्मक कल्पना की अभिव्यक्ति है जो साधारण चीज़ों में भी असाधारण सौंदर्य देखती है और उस सौंदर्य को शहरी विकास की तीव्र गति के बीच भी अपनी संवेदना में सुरक्षित रखना चाहती है। यहाँ प्रकृति और संस्कृति की एकता व्यक्त हुई है|