तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र

NCERT Solutions for Chapter 13 तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र Class 10 Sparsh

Book Solutions

1

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
'तीसरी कसम' फ़िल्म को कौन-कौन से पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है?

Answer

'तीसरी कसम' फिल्म को राष्ट्रपति द्वारा स्वर्णपदक मिला तथा बंगाल फ़िल्म जर्नलिस्ट एसोसिएशन ने सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म का अवार्ड दिया। इस फ़िल्म को मास्को फ़िल्म फेस्टिवल में भी पुरस्कृत किया गया।
मौखिक Page Number 94

2

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
शैलेंद्र ने कितनी फ़िल्में बनाईं?

Answer

शैलेन्द्र ने मात्र एक फ़िल्म 'तीसरी कसम' बनाई।
मौखिक Page Number 94

3

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
राजकपूर द्वारा निर्देशित कुछ फ़िल्मों के नाम बताइए।

Answer

राजकपूर ने संगम, मेरा नाम जोकर, बॉबी, श्री 420, सत्यम् शिवम् सुन्दरम्, आदि फ़िल्में निर्देशित की।
मौखिक Page Number 94

4

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
'तीसरी कसम' फ़िल्म के नायक व नायिकाओं के नाम बताइए और फ़िल्म में इन्होंने किन पात्रों का अभिनय किया है?

Answer

इस फ़िल्म में राजकपूर ने 'हीरामन' और 'वहीदा रहमान' ने हीराबाई की भूमिका निभाई है।
मौखिक Page Number 94

5

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
फ़िल्म 'तीसरी कसम' का निर्माण किसने किया था?

Answer

'तीसरी कसम' फ़िल्म का निर्माण शैलेन्द्र ने किया था|
मौखिक Page Number 94

6

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
राजकपूर ने 'मेरा नाम जोकर' के निर्माण के समय किस बात की कल्पना भी नहीं की थी?

Answer

राजकपूर ने 'मेरा नाम जोकर' बनाते समय यह सोचा भी नहीं था कि इस फ़िल्म का एक ही भाग बनाने में छह वर्षों का समय लग जाएगा।
मौखिक Page Number 94

7

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
राजकपूर की किस बात पर शैलेंद्र का चेहरा मुरझा गया?

Answer

तीसरी कसम की कहानी सुनने के बाद जब राजकपूर ने मेहनताना माँगा तो शैलेंद्र का चेहरा मुरझा गया क्योंकि उन्हें ऐसी उम्मीद न थी।
मौखिक Page Number 94

8

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
फ़िल्म समीक्षक राजकपूर को किस तरह का कलाकार मानते थे?

Answer

फ़िल्म समीक्षक राजकपूर को उत्कृष्ट कलाकार और आँखों से बात करने वाले कलाकार मानते थे।
मौखिक Page Number 94

(क)1

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में ) लिखिए-
'तीसरी कसम' फ़िल्म को सेल्यूलाइट पर लिखी कविता क्यों कहा गया है?

Answer

'तीसरी कसम' फणीश्वरनाथ रेनू द्वारा लिखी साहित्यिक रचना है। सेल्यूलाइट का अर्थ होता है किसी दृश्य को हु-ब-हु कैमरे पर उतार देना, उसका चित्रांकन करना। यह फ़िल्म भी कविता के समान भावुकता, संवेदना, मार्मिकता से भरी हुई कैमरे की रील पर उतरी हुई फ़िल्म है। इसलिए इसे सेल्यूलाइट पर लिखी कविता कहा गया है।
लिखित Page Number 94

(क)2

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में ) लिखिए-
'तीसरी कसम' फ़िल्म को खरीददार क्यों नहीं मिल रहे थे?

Answer

'तीसरी कसम' एक भावना प्रधान फ़िल्म थी। इस फ़िल्म की संवेदना को एक आम आदमी नही समझ सकता था जिस कारण लाभ मिलने की उम्मीद बहुत कम थी इसलिए इसे खरीददार नहीं मिल रहे थे।
लिखित Page Number 94

(क)3

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में ) लिखिए-
शैलेन्द्र के अनुसार कलाकार का कर्तव्य क्या है?

Answer

शैलेन्द्र के अनुसार कलाकार का उद्धेश्य दर्शकों की रूची की आड़ में उथलेपन को थोपना नहीं चाहिए बल्कि उनका परिष्कार करना चाहिए। कलाकार का दायित्व स्वस्थ एवं सुंदर समाज की रचना करना है, विकृत मानसिकता को बढ़ावा देना नहीं है।
लिखित Page Number 94

(क)4

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में ) लिखिए-
फ़िल्मों में त्रासद स्थितियों का चित्रांकन ग्लोरिफ़ाई क्यों कर दिया जाता है?

Answer

फ़िल्मों में त्रासद को इतना ग्लोरिफ़ाई कर दिया जाता है जिससे कि दर्शकों का भावनात्मक शोषण किया जा सके। उनका उद्देश्य केवल टिकट-विंडो पर ज़्यादा से ज़्यादा टिकटें बिकवाना और अधिक से अधिक पैसा कमाना होता है। इसलिए दुख को बहुत बढ़ा-चढ़ा कर बताते हैं जो वास्तव में सच नहीं होता है। दर्शक उसे पूरा सत्य मान लेते हैं। इसलिए वे त्रासद स्थितियों को ग्लोरिफ़ाई करते हैं।
लिखित Page Number 94

(क)5

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में ) लिखिए-
'शैलेन्द्र ने राजकपूर की भावनाओं को शब्द दिए हैं' − इस कथन से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।

Answer

राजकपूर अभिनय में मंझे हुए कलाकार थे और शैलेन्द्र एक अच्छे गीतकार थे। राजकपूर की छिपी हुई भावनाओं को शैलेन्द्र ने शब्द दिए। राजकूपर भावनाओं को आँखों के माध्यम से व्यक्त कर देते थे और शैलेंद्र उन भावनाओं को अपने गीतों से तथा संवाद से पूर्ण कर दिया करते थे।
लिखित Page Number 94

(क)6

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में ) लिखिए-
लेखक ने राजकपूर को एशिया का सबसे बड़ा शोमैन कहा है। शोमैन से आप क्या समझते हैं?

Answer

शोमैन का अर्थ है अपनी कला के प्रदर्शन से ज़्यादा से ज़्यादा जन समुदाय इकट्ठा कर सके। वह दर्शकों को अंत तक बांधे रखता है तभी वह सफल होता है। राजकपूर भी महान कलाकार थे। जिस पात्र की भूमिका निभाते थे उसी में समा जाते थे। इसलिए उनका अभिनय सजीव लगता था। उन्होंने कला को ऊँचाइयों तक पहुँचाया था।
लिखित Page Number 94

(क)7

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में ) लिखिए-
फ़िल्म 'श्री 420' के गीत 'रातों दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ' पर संगीतकार जयकिशन ने आपत्ति क्यों की?

Answer

'रातों दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ' पर संगीतकार जयकिशन को आपत्ति थी क्योंकि सामान्यत: दिशाएँ चार होती हैं। वे चार दिशाएँ शब्द का प्रयोग करना चाहते थे लेकिन शैलेन्द्र तैयार नहीं हुए। वे कलाकार का दायित्व मानते थे, उथलेपन पर विश्वास नहीं करते थे।
लिखित Page Number 94

(ख)1

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
राजकपूर द्वारा फ़िल्म की असफलता के खतरों के आगाह करने पर भी शैलेन्द्र ने यह फ़िल्म क्यों बनाई?

Answer

शैलेन्द्र एक कवि थे। उन्हें फणीश्वर नाथ रेणु की मूल कथा की संवेदना गहरे तक छू गई थी। उन्हें फ़िल्म व्यवसाय और निर्माता के विषय में कुछ भी ज्ञान नहीं था। फिर भी उन्होंने इस कथावस्तु को लेकर फ़िल्म बनाने का निश्चय किया। उन्हें धन तथा लाभ का लालच नहीं था। राजकपूर द्वारा फ़िल्म की असफलता के खतरों के आगाह करने पर भी अपनी आत्मसंतुष्टि के लिए उन्होंने यह फ़िल्म बनाई थी।
लिखित Page Number 95

(ख)2

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
'तीसरी कसम' में राजकपूर का महिमामय व्यक्तित्व किस तरह हीरामन की आत्मा में उतर गया। स्पष्ट कीजिए।

Answer

राजकपूर अभिनय में प्रवण थे वे पात्र को अपने ऊपर हावी नही होने देते थे बल्कि उसको जीवंत कर देते थे। तीसरी कसम में भी हीरामन पर राजकपूर हावी नही था बल्कि राजकपूर ने हीरामन की आत्मा दे दी थी। उसका डकडू बैठना, नौंटकी की बाई में अपनापन खोजना, गीतगाता गाडीवान, सरल देहाती मासमियत को चरम सीमा तक ले जाते हैं। इस तरह उनका महिमामय व्यक्तित्व हीरामन की आत्मा में उतर गया।
लिखित Page Number 95

(ख)3

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
लेखक ने ऐसा क्यों लिखा है कि तीसरी कसम ने साहित्य-रचना के साथ शत-प्रतिशत न्याय किया है?

Answer

तीसरी कसम फ़िल्म फणीश्वर नाथ रेणु की पुस्तक मारे गए गुलफाम पर आधारित है। शैलेंद्र ने पात्रों के व्यक्तित्व, प्रसंग,  घटनाओं में कहीं कोई परिवर्तन नहीं किया है। कहानी में दी गई छोटी-छोटी बारीकियाँ, छोटी-छोटी बातें फ़िल्म में पूरी तरह उतर कर आईं हैं। शैलेंद्र ने धन कमाने के लिए फ़िल्म नहीं बनाई थी। उनका उद्देश्य एक सुंदर कृति बनाना था। उन्होंने मूल कहानी को यथा रूप में प्रस्तुत किया है। उऩके योगदान से एक सुंदर फ़िल्म तीसरी कसम के रूप में हमारे सामने आई है। लेखक ने इसलिए कहा है कि तीसरी कसम ने साहित्य-रचना के साथ शत-प्रतिशत का न्याय किया है।
लिखित Page Number 95

(ख)4

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
शैलेन्द्र के गीतों की क्या विशेषताएँ हैं। अपने शब्दों में लिखिए।

Answer

शैलेन्द्र के गीत भावपूर्ण थे। उन्होंने धन कमाने की लालसा में गीत कभी नहीं लिखे। उनके गीतों की विशेषता थी कि उनमें घटियापन या सस्तापन नहीं था। उनके द्वारा रचित गीत उनके दिल की गहराइयों से निकले हुए थे। अतः वे दिल को छू लेने वाले गीत थे। यही कारण है कि उनके लिखे हर गीत अत्यन्त लोकप्रिय भी हुए। उनके गीतों में करूणा, संवेदना, आदि के भाव बिखरे हुए थे।
लिखित Page Number 95

(ख)5

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
फ़िल्म निर्माता के रूप में शैलेन्द्र की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए?

Answer

फ़िल्म निर्माता के रूप में शैलेन्द्र की पहली और आखिरी फ़िल्म 'तीसरी कसम' थी। उनकी फ़िल्म यश और धन की इच्छा से नही बनाई गई थी। शैलेन्द्र ने साहित्यिक रचना को बेहद ईमानदारी के साथ पर्दे पर उतारा। शैलेन्द्र ने न केवल कहानी को पर्दे पर उकेरा बल्कि हीरामन और हीराबाई की भावनाओं को शब्द भी दिए। उनकी संवेदनशीलता पुरे फिल्मे में नज़र आती है। बेशक इस फ़िल्म को खरीददार नही मिले पर शैलेन्द्र को अपनी पहचान और फ़िल्म को अनेकों पुरस्कार मिले और लोगो ने इसे सराहा भी।
लिखित Page Number 95

(ख)6

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
शैलेंद्र के निजी जीवन की छाप उनकी फ़िल्म में झलकती है−कैसे? स्पष्ट कीजिए।

Answer

शैलेंद्र के निजी जीवन की छाप उनकी फ़िल्म में झलकती है। शैलेन्द्र ने झूठे अभिजात्य को कभी नहीं अपनाया। उनके गीत भाव-प्रवण थे − दुरुह नहीं। उनका कहना था कि कलाकार का यह कर्त्तव्य है कि वह उपभोक्ता की रुचियों का परिष्कार करने का प्रयत्न करे। उनके लिखे गए गीतों में बनावटीपन नहीं था। उनके गीतों में शांत नदी का प्रवाह भी था और गीतों का भाव समुद्र की तरह गहरा था। यही विशेषता उनकी ज़िंदगी की थी और यही उन्होंने अपनी फिल्म के द्वारा भी साबित किया।
लिखित Page Number 95

(ख)7

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
लेखक के इस कथन से कि 'तीसरी कसम' फ़िल्म कोई सच्चा कवि-हृदय ही बना सकता था, आप कहाँ तक सहमत हैं? स्पष्ट कीजिए।

Answer

लेखक के अनुसार 'तीसरी कसम' फ़िल्म कोई सच्चा कवि-हृदय ही बना सकता था। लेखक का यह कथन बिलकुल सही है क्योंकि इस फिल्म की कलात्मकता काबिल-ए-तारीफ़ है। शैलेन्द्र एक संवेदनशील तथा भाव-प्रवण कवि थे और उनकी संवेदनशीलता इस फ़िल्म में स्पष्ट रुप से मौजूद है। यह संवेदनशीलता किसी साधारण फ़िल्म निर्माता में नहीं होती है।
लिखित Page Number 95

(ग)1

निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-
..... वह तो एक आदर्शवादी भावुक कवि था, जिसे अपार संपत्ति और यश तक की इतनी कामना नहीं थी जितनी आत्म-संतुष्टि के सुख की अभिलाषा थी।

Answer

इन पंक्तियों में लेखक का आशय है कि शैलेन्द्र एक ऐसे कवि थे जो जीवन में आदर्शों और भावनाओं को सर्वोपरि मानते थे। जब उन्होंने भावनाओं, संवेदनाओं व साहित्य की विधाओं के आधार पर 'तीसरी कसम' फ़िल्म का निर्माण किया तो उनका उद्देश्य केवल आत्मसंतुष्टि था न कि धन कमाना।
लिखित Page Number 95

(ग)2

निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-
उनका यह दृढ़ मतंव्य था कि दर्शकों की रूचि की आड़ में हमें उथलेपन को उन पर नहीं थोपना चाहिए। कलाकार का यह कर्त्तव्य भी है कि वह उपभोक्ता की रूचियों का परिष्कार करने का प्रयत्न करे।

Answer

फ़िल्म "श्री 420" के एक गाने में शैलेंद्र ने दसों दिशाओं शब्द का प्रयोग किया तो संगीतकार जयकिशन ने उन्हें कहा कि दसों दिशाओं नहीं चारों दिशाओं होना चाहिए चूँकि लोग चार दिशाएं जानते हैं देश दिशाएं नही। लेकिन शैलेन्द्र का कहना था कि फ़िल्म निर्माताओं को चाहिए कि दर्शकों की रूचि को ठीक करें। उथलेपन उन पर थोपना नहीं चाहिए।
लिखित Page Number 95

(ग)3

निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-
व्यथा आदमी को पराजित नहीं करती, उसे आगे बढ़ने का संदेश देती है।

Answer

यह पंक्ति लेखक ने शैलेन्द्र के गीतों के सन्दर्भ में लिखी है। शैलेन्द्र के गीत केवल मनोरंजन के लिए नही बल्कि जिंदगी से जूझने का संदेश भी देते हैं। अपनी गीतों द्वारा वह सन्देश देना चाहते थे की थक-हारकर बैठ जाना उचित नही होता अपितु बार-बार प्रयास करनी चाहिए। हर व्यथा और गलतियों से सबक लेनी चाहिए।
लिखित Page Number 95

(ग)4

निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-
दरअसल इस फ़िल्म की संवेदना किसी दो से चार बनाने वाले की समझ से परे है।

Answer

'तीसरी कसम' फ़िल्म की संवेदना किसी आम आदमी के समझ के परे थी। अन्य फिल्मों की तरह जिनका उद्देश्य सिर्फ लाभ कमाना होता है की तरह इसमें सस्ते लोक-लुभावन मसालों को नही डाला गया था।
लिखित Page Number 95

(ग)5

निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-
उनके गीत भाव-प्रवण थे − दुरूह नहीं।

Answer

शैलेन्द्र के गीत सीधी साधी भाषा में सरसता व प्रवाह लिए हुए थे। इनके गीत भावनात्मक गहन विचारों वाले तथा संवेदनशील थे।
लिखित Page Number 95

3

पाठ में आए निम्नलिखित मुहावरों से वाक्य बनाइए −
चेहरा मुरझाना, चक्कर खा जाना, दो से चार बनाना, आँखों से बोलना

Answer

चेहरा मुरझाना - अपना रिजल्ट सुनते ही उसका चेहरा मुरझा गया।
चक्कर खा जाना - बहुत तेज़ धूप में घूमकर वह चक्कर खाकर गिर गया।
दो से चार बनाना - धन के लोभी हर समय दो से चार बनाने में लगे रहते हैं।
आँखों से बोलना - उसकी आँखें बहुत सुन्दर हैं लगता है वह आँखों से बोलती है।
भाषा अध्ययन Page Number 96

4

निम्नलिखित शब्दों के हिन्दी पर्याय दीजिए−

(क)        

शिद्दत

---------------

(ख)

याराना

---------------

(ग)

बमुश्किल

---------------

(घ)

खालिस

---------------

(ङ)

नावाकिफ़

---------------

(च)

यकीन

---------------

(छ)

हावी

---------------

(ज)

रेशा

---------------

Answer

(क)        

शिद्दत

प्रयास

(ख)

याराना

दोस्ती, मित्रता

(ग)

बमुश्किल

कठिन

(घ)

खालिस

मात्र

(ङ)

नावाकिफ़

अनभिज्ञ

(च)

यकीन

विश्वास

(छ)

हावी

भारी पड़ना

(ज)

रेशा

तंतु

भाषा अध्ययन Page Number 96

5

निम्नलिखित का संधिविच्छेद कीजिए−

(क)

चित्रांकन

-

---------------

+

---------------

(ख)

सर्वोत्कृष्ट

-

---------------

+

---------------

(ग)

चर्मोत्कर्ष

-

---------------

+

---------------

(घ)

रूपांतरण

-

---------------

+

---------------

(ङ)

घनानंद

-

---------------

+

---------------

Answer

(क)

चित्रांकन

-

चित्र + अकंन

(ख)

सर्वोत्कृष्ट

-

सर्व + उत्कृष्ट

(ग)

चर्मोत्कर्ष

-

चरम + उत्कर्ष

(घ)

रूपांतरण

-

रूप + अतंरण        

(ङ)

घनानंद

-

घन + आनंद

भाषा अध्ययन Page Number 96

6

निम्नलिखित का समास विग्रह कीजिए और समास का नाम लिखिए−

(क)

कला-मर्मज्ञ

---------------

(ख)

लोकप्रिय

---------------

(ग)

राष्ट्रपति

---------------

Answer

(क)

कला-मर्मज्ञ

कला का मर्मज्ञ

(तत्पुरूष समास)

(ख)

लोकप्रिय

लोक में प्रिय

(तत्पुरूष समास)

(ग)

राष्ट्रपति

राष्ट्र का पति

(तत्पुरूष समास)

भाषा अध्ययन Page Number 96