मीरा के पद

Summary for मीराँ के पद Class 7 Hindi

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कवि परिचय

Answer

मीरा एक महान हिंदी कवयित्री, कृष्ण भक्त और संत थीं, जिन्होंने लगभग 500 साल पहले ये कविताएँ लिखी थीं। उनका जन्म राजस्थान में हुआ था और वे बचपन से ही भगवान कृष्ण की भक्ति में डूबी रहती थीं। राजकुमारी होने के बावजूद उन्होंने सादा जीवन चुना और महलों को छोड़कर तीर्थ यात्राएँ कीं। मंदिरों में भजन गाए और संतों की संगति में रहकर भगवान की भक्ति की। उनके भजन आज भी लोग श्रद्धा और प्रेम से गाते और सुनते हैं।

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मुख्य विषय

Answer

यह कविता मीरां की कृष्ण के प्रति गहरी भक्ति को व्यक्त करती है। इसमें मीरां अपने नयन (आँखों) से कृष्ण को देखने की इच्छा, उनके प्रेम में रंगीनी और उनकी पूजा करती हुई भक्ति का वर्णन करती हैं। कविता में प्रकृति की सुंदरता, जैसे बारिश, शीतल हवा और ताजगी, कृष्ण के प्रेम के साथ जुड़ी हुई है। मीरां के भजन में कृष्ण के दर्शन के लिए उनकी उत्कट तड़प और प्रेम का चित्रण किया गया है।

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पहला पद:
बसो मेरे नैनन में नंदलाल

Answer

इस पद में मीरा भगवान कृष्ण की सुंदरताका बखान करती हैं। वे कहती हैं कि कृष्ण की मोहक मूर्ति, साँवली सूरत और बड़ी-बड़ी आँखें उनके मन को लुभाती हैं। कृष्ण के होंठों पर मुरली शोभा देती है और उनके गले में वैजयंती माला सुंदर लगती है। उनकी कमर पर छोटी घंटियाँ और पैरों में नूपुर की मधुर आवाज़ मन को आनंद देती है। मीरा कहती हैं कि उनके प्रभु कृष्ण संतों को सुख देने वाले और भक्तों के प्रिय गोपाल हैं।
पद का सार

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दूसरा पद: बरसे बदरिया सावन की

Answer

इस पद में मीरा सावन के मौसम का वर्णन करती हैं। सावन की बारिश और ठंडी हवा उनके मन को खुश करती है। उन्हें लगता है कि बादलों की गड़गड़ाहट और बारिश की बूँदें भगवान कृष्ण के आने की खबर ला रही हैं। मीरा का मन उमंग से भर जाता है। वे अपने प्रभु गिरधरनागर की भक्ति में आनंद और मंगल गीत गाती हैं।

पद का सार

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पहला पद: बसो मेरे नैनन में नंदलाल

बसो मेरे नैनन में नंदलाल।
मोहिनी मूरति साँवरि सूरति, नैना बने विशाल॥
अधर सुधा रस मुरली राजति, उर वैजंती माल॥
क्षुद्र घंटिका कटितट सोभित, नूपुर शब्द रसाल॥
मीरा के प्रभु संतन सुखदाई, भक्त वछल गोपाल॥

Answer

व्याख्याइस पद में मीरा अपने दिल की गहरी भावना को व्यक्त करती हैं। वह भगवानश्री कृष्ण को अपने नैनों (आँखों) में बसाने की प्रार्थनाकरती हैं। मीरा कहती हैं कि उनके लिए भगवान कृष्ण की सुंदरता और रूप मोहक (आकर्षक) है, भगवान कृष्ण के रूप को देखकर उनके नैन इतने विशाल हो गए हैं, मानो उस सुंदर छवि को पूरी तरह समेट लेना चाहते हों। मीरा के गले में भगवान कृष्ण की वैजंती माला शोभा देती है, जो उनके प्रेम का प्रतीक है। मीरा कृष्ण के भगवान रूप में नूपुर की आवाज़ और घंटियों के संगीत को भी महसूस करती हैं, जो उनके दिल को खुश कर देती है। वह कहती हैं कि भगवान कृष्ण अपने भक्तों के लिए सुख देने वाले और उनकी रक्षा करने वाले हैं।

पद की व्याख्या

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दूसरा पद: बरसे बदरिया सावन की

बरसे बदरिया सावन की, सावन की मन भावन की।
सावन में उमग्यो मेरो मनवा, भनक सुनी हरि आवन की॥
उमड़ घुमड़ चहुँ दिश से आया, दामिन दम कै झर लावन की।
नन्हीं नन्हीं बूँदन मेहा बरसे, शीतल पवन सोहावन की॥
मीरा के प्रभु गिरधरनागर, आनंद मंगल गावन की॥

Answer

व्याख्याइस पद में मीरा सावन (मूसलधार बारिश) के मौसम का वर्णन करती हैं। वह कहती हैं कि जैसे ही सावन की घटाएँ आईं, उनका मन भी खुशी से उमड़ने लगा। बारिश की बूँदें मानो भगवान कृष्ण के आगमन की आहट सुना रही हों। मीरा अपने मन को कृष्ण के प्रेम में समर्पित करती हैं, और बारिश के मौसम में शीतल पवन से आनंद महसूस करती हैं। यह बारिश और ठंडी हवाउनके दिल को शांति और सुख देती है। मीरा कृष्ण को गिरधरनागर, यानी गोवर्धन को उठाने वाले अपने प्रिय प्रभु के रूप में देखती हैं, जो उनके जीवन में खुशी और मंगल लाते हैं।

पद की व्याख्या

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पद से शिक्षा

Answer

इन पदों से हमें भक्ति और प्रेम की सीखमिलती है। मीरा हमें बताती हैं कि सच्ची भक्ति में मन को शांति और आनंदमिलता है। हमें भगवान के प्रति प्रेम और विश्वास रखना चाहिए। सावन के मौसम का वर्णन हमें प्रकृति से प्रेम करना सिखाता है। हमें छोटी-छोटी चीजों में खुशी ढूंढनी चाहिए और दूसरों के लिए अच्छे विचार रखने चाहिए।

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शब्दार्थ

Answer

नैनन: आँखें
नंदलाल: भगवान कृष्ण का नाम
मोहिनी: मन को लुभाने वाली
साँवरी: साँवला रंग
सूरति: चेहरा (सूरत)
विशाल: बड़े
अधर: होंठ
सुधा रस: अमृत जैसा रस
मुरली: बाँसुरी
वैजयंती माल: फूलों की माला
क्षुद्र घंटिका: छोटी घंटी
कटितट: कमर
नूपुर: पैरों का आभूषण (पायल)
रसाल: मधुर
सुखदाई: सुख देने वाला
भक्त वछल: भक्तों से प्यार करने वाला
गोपाल: कृष्ण का नाम
बदरिया: बादल
सावन: वर्षा का महीना
मन भावन: मन को अच्छा लगने वाला
उमग्यो: खुशी से भरा
मनवा: मन
भनक: खबर
हरि: भगवान कृष्ण
उमड़ घमड़: बादलों का इकट्ठा होना
दामिन: बिजली
मेहा: बारिश
शीतल पवन: ठंडी हवा
सोहावन: सुहाना
गिरधरनागर: कृष्ण का नाम
आनंद मंगल: खुशी और शुभ