NCERT Solutions for Chapter 15 सुमित्रानंदन पंत Class 11 Antra
Book Solutions1
संध्या के समय प्रकृति में क्या-क्या परिवर्तन होते हैं, कविता के आधार पर लिखिए।
Answer
संध्या के समय सूर्य का प्रकाश लाल आभा लिए हो जाता है और झरनों से बहनेवाले जल का वर्ण स्वर्णिम हो जाता है। ये किरणें गंगाजल को स्वर्णिम करती हुई उसके किनारे की रेत पर धूपछाँही बना देती है। जैसे-जैसे सूर्य डूबता जाता है वैसे-वैसे प्राकृतिक परिवेश बदलता रहता है। तांबाई से स्वर्णिम, फिर सुरमई और सूर्य के डूबते ही अँधेरा छा जाता है।
प्रश्न अभ्यास
2
पंत जी ने नदी के तट का जो वर्णन किया है, उसे अपने शब्दों में लिखिए।
Answer
नदी के तट पर ध्यान में मगन वृद्ध औरतें ऐसे प्रतीत हो रही हैं, मानो शिकार करने के लिए नदी किनारे खड़े बगुलें हों। पंत जी ने कविता में वृद्ध औरतों की बहुत सुंदर उपमा दी है। उनके दुख को भी बहुत सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया है। नदी की मंथर धारा को वृद्ध औरतों के मन में बहने वाले दुख के समान बताया गया है। इस तरह से वृद्ध औरतें और बगुले दोनों ही नदी किनारे में मिलते हैं। उनके सफेद रंग के कारण कवि ने बहुत सुंदर उपमा देकर दोनों को एक कर दिया है।
प्रश्न अभ्यास
3
बस्ती के छोटे से गाँव के अवसाद को किन-किन उपकरणों द्वारा अभिव्यक्त किया गया है?
Answer
शाम होते ही कृषक, उनकी गाएँ तथा पक्षी घर की और लौट पड़ते हैं।
प्रश्न अभ्यास
4
लाला के मन में उठनेवाली दुविधा को अपने शब्दों में लिखिए|
Answer
लाला अपनी छोटी एवं संकुचित दुकान को देखकर वह स्वयं को दयनीय, दुखी और अपमानित अनुभव करता है। जीवन-भर अपनी दुकान की गद्दी पर बैठा हुआ उसे ऐसा लगता है जैसे किसी निर्जीव और बेकार अनाज का ढेर हो। वह सोचता था कि शहर में रहने वाले बनियों के समान वह उठ क्यों नहीं पाता? वह थोड़ी-सी आय के लिए बात-बात में झूठ बोलता है तथा अपने ही वर्ग के साथ प्रतिस्पर्धा के कारण अपने जीवन को तबाह कर रहा है।
प्रश्न अभ्यास
5
सामाजिक समानता की छवि की कल्पना किस तरह अभिव्यक्त हुई है?
Answer
सामाजिक समानता की छवि की कल्पना इस प्रकार अभिव्यक्त हुई है-
• कर्म तथा गुण के समान ही सकल आय-व्यय का वितरण होना चाहिए।
• सामूहिक जीवन का निर्माण किया जाए।
• सब मिलकर नए संसार का निर्माण करें।
• सब मिलकर सभी प्रकार की सुख-सुविधाओं का भोग करें।
• समाज को धन का उत्तराधिकारी बनाया जाए।
• सभी व्याप्त वस्त्र, भोजन तथा आवास के अधिकारी हों।
• श्रम सबमें समान रूप से बँटें।
• कर्म तथा गुण के समान ही सकल आय-व्यय का वितरण होना चाहिए।
• सामूहिक जीवन का निर्माण किया जाए।
• सब मिलकर नए संसार का निर्माण करें।
• सब मिलकर सभी प्रकार की सुख-सुविधाओं का भोग करें।
• समाज को धन का उत्तराधिकारी बनाया जाए।
• सभी व्याप्त वस्त्र, भोजन तथा आवास के अधिकारी हों।
• श्रम सबमें समान रूप से बँटें।
प्रश्न अभ्यास
6
'कर्म और गुण के समान.."हो वितरण' पंक्ति के माध्यम से कवि कैसे समाज की ओर संकेत कर रहा है?
Answer
इस पंक्ति में कवि ऐसे समाज की कल्पना कर रहा है, जहाँ का वितरण मनुष्य के कर्म और गुणों के आधार पर होना चाहिए। ऐसे में प्रत्येक मनुष्य को उसके गुणों और कार्य करने की क्षमता के आधार पर कार्य मिलेगा, इससे आय का सही प्रकार से बँटवारा हो सकेगा। ये समाजवाद के गुण हैं, जिसमें किसी एक वर्ग का आय-व्यय पर अधिकार नहीं होता है। सबको समान अधिकार प्राप्त होते हैं।
प्रश्न अभ्यास
7
निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
(क) तट पर बगुलों-सी वृद्धाएँ
विधवाएँ जप ध्यान में मगन, मंथर धारा में बहता
जिनका अदृश्य, गति अंतर-रोदन!
Answer
प्रस्तुत पंक्तियां कविवर सुमित्रानंदन की कविता 'संध्या के बाद' से ली गयी हैं जिसमें कवि ने बहुत ही सुंदर और मार्मिक रूप में प्रकृति का चित्रण किया है। कवि ने सांध्यकालीन वातावरण में नदी के तट पर बैठी बूढ़ी स्त्रियों और विधवाओं की दशा का वर्णन किया है जो ऐसे ध्यान मग्न होकर परमात्मा का नाम जप रही हैं जैसे बगुले ध्यानपूर्वक पानी देख रहे हों| उनके हृदय में दुख की मंथन धारा बह रही है। इस काव्यांश की प्रत्येक पंक्ति में काव्य सौंदर्य अद्भुत जान पड़ता है। पहली पंक्ति में ‘बगुलों-सी वृद्धाएँ’ में उपमा अलंकार है। कवि ने तत्सम शब्दों का प्रयोग करके अपनी बात को बहुत सुंदर रूप में चित्रित किया है।
प्रश्न अभ्यास
8(क)
आशय स्पष्ट कीजिए-
ताम्रपर्ण, पीपल से, शतमुख/ झरते चंचल स्वर्णिम निर्झर!
ताम्रपर्ण, पीपल से, शतमुख/ झरते चंचल स्वर्णिम निर्झर!
Answer
पीपल के सूखे पत्ते ऐसे लग रहे हैं मानो ताँबे धातु से बने हों। वह पेड़ से गिरते हुए ऐसे लग रहे हैं मानो सैंकड़ों मुँह वाले झरनों से सुनहरे रंग की धाराएँ गिर रही हों।
प्रश्न अभ्यास
8(ख)
आशय स्पष्ट कीजिए-
दीप शिखा-सा ज्वलित कलश/नभ में उठकर करता नीराजन!
Answer
मंदिर के शिखर पर लगा कलश सूर्य की रोशनी के प्रभाव से दीपक की जलती लौ के समान लग रहा है। ऐसा लग रहा है मानो संध्या आरती में वह भी लोगों के समान आरती कर रहा है।
प्रश्न अभ्यास
8(ग)
आशय स्पष्ट कीजिए-
सोन खगों की पाँति/आर्द्र ध्वनि से नीरव नभ करती मुखरित!
Answer
आकाश में व्याप्त खग नामक पक्षी पंक्ति में उड़ रहे हैं। उनकी गुंजार शांत आकाश को गुंजार से भर देती है।
प्रश्न अभ्यास
8(घ)
आशय स्पष्ट कीजिए-
मन से कढ़ अवसाद श्राति / आँखों के आगे बुनती जाला!
Answer
मनुष्य के मन में व्याप्त दुख तथा कष्ट उसकी आँखों में यादों के रूप में उभर आते हैं।
प्रश्न अभ्यास
8(ङ)
आशय स्पष्ट कीजिए-
क्षीण ज्योति ने चुपके ज्यों / गोपन मन को दे दी हो भाषा!
Answer
घरों में विद्यमान दीपक जल उठे हैं। इस अंधकार में उसकी रोशनी अवश्य कमज़ोर है। उस कमज़ोर ज्योति ने लगता है गोपों के मन को एक आशा दे दी है।
प्रश्न अभ्यास
8(च)
आशय स्पष्ट कीजिए-
बिना आय की क्लाति बन रही/ उसके जीवन की परिभाषा!
Answer
गाँव में लोगों के पास आय का साधन विद्यमान नहीं है। अतः उसके जीवन में बहुत दुख विद्यमान हैं। ऐसा लगता है कि मानो यह अभाव उसकी कहानी बनकर रह जाएँगे।
प्रश्न अभ्यास
8(छ)
आशय स्पष्ट कीजिए-
व्यक्ति नहीं, जग की परिपाटी/ दोषी जन के दुःख क्लेश की।
Answer
दोष से युक्त सामाजिक व्यवस्था ही मनुष्य के दुख का कारण है। धन के असमान बँटवारे के कारण ही समाज में अंतर व्याप्त है।
प्रश्न अभ्यास