निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
शुद्ध सोना और गिन्नी का सोना अलग क्यों होता है?
Answer
शुद्ध सोने में किसी प्रकार की मिलावट नही की जाती अगर इसी में थोड़ा-सा ताँबा मिला दिया जाए तो यह गिन्नी बन जाता है। ऐसा करने से सोने की मजबूती और चमक दोनों बढ़ जाती है।
मौखिक
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निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
प्रेक्टिकल आइडियालिस्ट किसे कहते हैं?
Answer
जो लोग आदर्श बनते हैं और व्यवहार के समय उन्हीं आर्दशों को तोड़ मरोड़ कर अवसर का लाभ उठाते हैं, उन्हें प्रेक्टिकल आइडियालिस्ट कहते हैं।
मौखिक
Page Number 122
निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
पाठ के संदर्भ में शुद्ध आदर्श क्या है?
Answer
जिसमें लाभ हानि सोचने की गुजांइश नहीं होती है उसे शुद्ध आदर्श कहते हैं।
मौखिक
Page Number 122
निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
लेखक ने जापानियों के दिमाग में स्पीड का इंजन लगने की बात क्यों कही है?
Answer
जापानी लोग उन्नति की होड़ में सबसे आगे हैं। वे महीने का काम एक दिन में करने का सोचते हैं। इसलिए लेखक ने जापानियों के दिमाग में स्पीड का इंजन लगने की बात कही है।
मौखिक
Page Number 122
निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
जापानी में चाय पीने की विधि को क्या कहते हैं?
Answer
जापानी में चाय पीने की विधि को चा-नो-यू कहते हैं।
मौखिक
Page Number 122
निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
जापान में जहाँ चाय पिलाई जाती है, उस स्थान की क्या विशेषता है?
Answer
जापान में जहाँ चाय पिलाई जाती है, वहाँ की सजावट पारम्परिक होती है। वहाँ अत्यन्त शांति और गरीमा के साथ चाय पिलाई जाती है। शांति उस स्थान की मुख्य विशेषता है।
मौखिक
Page Number 122
निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए−शुद्ध आदर्श की तुलना सोने से और व्यावहारिकता की तुलना ताँबे से क्यों की गई है?
Answer
शुद्ध सोने में किसी प्रकार की मिलावट नहीं की जा सकती। ताँबे से सोना मजबूत हो जाता है परन्तु शुद्धता समाप्त हो जाती है। इसी प्रकार व्यवहारिकता में शुद्ध आर्दश समाप्त हो जाते हैं। सही भाग में व्यवहारिकता को मिलाया जाता है तो ठीक रहता है।
लिखित
Page Number 122
निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए−चाजीन ने कौन-सी क्रियाएँ गरिमापूर्ण ढंग से पूरी कीं?
Answer
चाजीन द्वारा अतिथियों का उठकर स्वागत करना, आराम से अँगीठी सुलगाना, चायदानी रखना, चाय के बर्तन लाना, तौलिए सेपोछ कर चाय डालना आदि सभी क्रियाएँ गरिमापूर्ण, अच्छे व सहज ढंग से कीं।
लिखित
Page Number 122
निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए−टी-सेरेमनी में कितने आदमियों को प्रवेश दिया जाता था और क्यों?
Answer
इसमें केवल तीन आदमियों को प्रवेश दिया जाता था क्योंकि भाग-दौड़ की ज़िदंगी से दूर भूत-भविष्य की चिंता छोड़कर शांतिमय वातावरण में कुछ समय बिताना इस जगह का उद्देश्य होता है।
लिखित
Page Number 122
निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए−चाय पीने के बाद लेखक ने स्वयं में क्या परिवर्तन महसूस किया?
Answer
चाय पीने के बाद लेखक ने महसूस किया कि उसका दिमाग सुन्न होता जा रहा है, उसकी सोचने की शक्ति धीरे-धीरे मंद हो रही है। इससे सन्नाटे की आवाज भी सुनाई देने लगी। उसे लगा कि भूत-भविष्य दोनों का चिंतन न करके वर्तमान में जी रहा हो। उसे बहुत सुख मिलने लगा।
लिखित
Page Number 122
निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-गाँधीजी में नेतृत्व की अद्भुत क्षमता थी; उदाहरण सहित इस बात की पुष्टि कीजिए?
Answer
गाँधीजी में नेतृत्व की अद्भुत क्षमता थी। यह आन्दोलन व्यावहारिकता को आदर्शों के स्वर पर चढ़ाकर चलाया गया। इन्होंने कई आन्दोलन चलाए − भारत छोड़ो आन्दोलन, दांडी मार्च, सत्याग्रह, असहयोग आन्दोलन आदि। उनके साथ भारत की सारी जनता थी। उन्होंने अहिंसा के मार्ग पर चलकर पूर्ण स्वराज की स्थापना की। भारतीयों ने भी अपने नेता के नेतृत्व में अपना भरपूर सहयोग दिया और हमें आज़ादी मिली।
लिखित
Page Number 122
निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-आपके विचार से कौन-से ऐसे मूल्य हैं जो शाश्वत हैं? वर्तमान समय में इन मूल्यों की प्रांसगिकता स्पष्ट कीजिए।
Answer
ईमानदारी, सत्य, अहिंसा, परोपकार, परहित, कावरता, सहिष्णुता आदि ऐसे शाश्वत मूल्य हैं जिनकी प्रांसगिकता आज भी है। इनकी आज भी उतनी ही ज़रूरत है जितनी पहले थी। आज के समाज को सत्य अहिंसा की अत्यन्त आवश्यक है। इन्हीं मूल्यों पर संसार नैतिक आचरण करता है। यदि हम आज भी परोपकार, जीवदया, ईमानदारी के मार्ग पर चलें तो समाज को विघटन से बचाया जा सकता है।
लिखित
Page Number 122
निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-शुद्ध सोने में ताबे की मिलावट या ताँबें में सोना, गाँधीजी के आदर्श और व्यवहार के संदर्भ में यह बात किस तरह झलकती है?स्पष्ट कीजिए।
Answer
गाँधीजी ने जीवन भर सत्य और अहिंसा का पालन किया। वे आदर्शों को उंचाई तक ले जाते हैं अर्थात वे सोने में ताँबा मिलाकर उसकी कीमत कम नही करते थे बल्कि ताँबे में सोना मिलाकर उसकी कीमत बढ़ा देते थे। गाँधीजी व्यवहारिकता की कीमत जानते थे। इसीलिए वे अपना विलक्षण आदर्श चला सके। लेकिन अपने आदर्शों को व्यावहारिकता के स्वर पर उतरने नहीं देते थे।
लिखित
Page Number 122
निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-गिरगिट कहानी में आपने समाज में व्याप्त अवसरानुसार अपने व्यवहार को पल-पल में बदल डालने की एक बानगी देखी। इस पाठ के अंश 'गिन्नी का सोना' का संदर्भ में स्पष्ट कीजिए कि 'अवसरवादिता' और 'व्यवहारिकता' इनमें से जीवन में किसका महत्व है?
Answer
गिरगिट कहानी में स्वार्थी इंस्पेक्टर पल-पल बदलता है। वह अवसर के अनुसार अपना व्यवहार बदल लेता है। 'गिन्नी का सोना' कहानी में इस बात पर बल दिया गया है कि आदर्श शुद्ध सोने के समान हैं। इसमें व्यवाहिरकता का ताँबा मिलाकर उपयोगी बनाया जा सकता है। केवल व्यवहारवादी लोग गुणवान लोगों को भी पीछे छोड़कर आगे बढ़ जाते हैं। यदि समाज का हर व्यक्ति आदर्शों को छोड़कर आगे बढ़ें तो समाज विनाश की ओर जा सकता है। समाज की उन्नति सही मायने में वहीं मानी जा सकती है जहाँ नैतिकता का विकास,जीवन के मूल्यों का विकास हो।
लिखित
Page Number 122
निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-लेखक के मित्र ने मानसिक रोग के क्या-क्या कारण बताए? आप इन कारणों से कहाँ तक सहमत हैं?
Answer
लेखक के मित्र ने मानसिक रोग के कारण बताएँ हैं कि मनुष्य चलता नहीं दौड़ता है, बोलता नहीं बकता है, एक महीने का काम एक दिन में करना चाहता है, दिमाग हज़ार गुना अधिक गति से दौड़ता है। अतरू तनाव बढ़ जाता है। मानसिक रोगों का प्रमुख कारण प्रतिस्पर्धा के कारण दिमाग का अनियंत्रित गति से कार्य करना है।
लिखित
Page Number 123
निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-लेखक के अनुसार सत्य केवल वर्तमान है, उसी में जीना चाहिए। लेखक ने ऐसा क्यों कहा होगा? स्पष्ट कीजिए।
Answer
लेखक के अनुसार सत्य वर्तमान है। उसी में जीना चाहिए। हम अक्सर या तो गुजरे हुए दिनों की बातों में उलझे रहते हैं या भविष्य के सपने देखते हैं। इस तरह भूत या भविष्य काल में जीते हैं। असल में दोनों काल मिथ्या हैं। वर्तमान ही सत्य है उसी में जीना चाहिए।
लिखित
Page Number 123
निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-
समाज के पास अगर शाश्वत मुल्यों जैसा कुछ है तो वह आर्दशवादी लोगों का ही दिया हुआ है।
Answer
आदर्शवादी लोग समाज को आदर्श रूप में रखने वाली राह बताते हैं। व्यवहारिक आदर्शवाद वास्तव में व्यवहारिकता ही है। उसमें आदर्शवाद कहीं नहीं होता है।
लिखित
Page Number 123
निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-
जब व्यवहारिकता का बखान होने लगता है तब प्रेक्टिकल आइडियालिस्टों के जीवन से आदर्श धीरे-धीरे पीछे हटने लगते हैं और उनकी व्यवहारिक सूझ-बूझ ही आगे आने लगती है?
Answer
जहाँ व्यवहारिकता होती है वहां आदर्श टिक नही पाते। वास्तव में व्यवहारिकता ही अवसरवादिता का दूसरा नाम है।
लिखित
Page Number 123
निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-
हमारे जीवन की रफ़्तार बढ़ गई है। यहाँ कोई चलता नहीं बल्कि दौड़ता है। कोई बोलता नहीं, बकता है। हम जब अकेले पड़ते हैं तब अपने आपसे लगातार बड़बड़ाते रहते हैं।
Answer
जीवन की भाग-दौड़, व्यस्तता तथा आगे निकलने की होड़ ने लोगों का चैन छीन लिया है। हर व्यक्ति अपने जीवन में अधिक पाने की होड़ में भाग रहा है। इससे तनाव व निराशा बढ़ रही है।
लिखित
Page Number 123
निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-
सभी क्रियाएँ इतनी गरिमापूर्ण ढंग से कीं कि उसकी हर भंगिमा से लगता था मानो जयजयवंती के सुर गूँज रहे हों।
Answer
चाय परोसने वाले ने बहुत ही सलीके से काम किया। झुककर प्रणाम करना, बरतन पौंछना, चाय डालना सभी धीरज और सुंदरता से किए मानो कोई कलाकार बड़े ही सुर में गीत गा रहा हो।
लिखित
Page Number 123
नीचे दिए गए शब्दों का वाक्यों में प्रयोग किजिए −
व्यावहारिकता, आदर्श, सूझबूझ, विलक्षण, शाश्वत
Answer
(क) व्यावहारिकता − दादाजी की व्यावहारिकता सीखने योग्य है।
(ख) आदर्श − आज के युग में गाँधी जैसे आदर्शवादिता की ज़रूरत है।
(ग) सूझबूझ − उसकी सूझबूझ ने आज मेरी जान बचाई।
(घ) विलक्षण − महेश की अपने विषय में विलक्षण प्रतिभा है।
(ङ) शाश्वत − सत्य, अहिंसा मानव जीवन के शाश्वत नियम हैं।
भाषा अध्ययन
Page Number 123
नीचे दिए गए द्वंद्व समास का विग्रह कीजिए−(क) | माता-पिता | = | ................... |
(ख) | पाप-पुण्य | = | ................... |
(ग) | सुख-दुख | = | ................... |
(घ) | रात-दिन | = | ................... |
(ङ) | अन्न-जल | = | ................... |
(च) | घर-बाहर | = | ................... |
(छ) | देश-विदेश | = | ................... |
Answer
(क) | माता-पिता | = | माता और पिता |
(ख) | पाप-पुण्य | = | पाप और पुण्य |
(ग) | सुख-दुख | = | सुख और दुख |
(घ) | रात-दिन | = | रात और दिन |
(ङ) | अन्न-जल | = | अन्न और जल |
(च) | घर-बाहर | = | घर और बाहर |
(छ) | देश-विदेश | = | देश और विदेश |
भाषा अध्ययन
Page Number 123
नीचे दिए गए विशेषण शब्दों से भाववाचक संज्ञा बनाइए−(क) | सफल | = | ................. |
(ख) | विलक्षण | = | ................. |
(ग) | व्यावहारिक | = | ................. |
(घ) | सजग | = | ................. |
(ङ) | आर्दशवादी | = | ................. |
(च) | शुद्ध | = | ................. |
Answer
(क) | सफल | = | सफलता |
(ख) | विलक्षण | = | विलक्षणता |
(ग) | व्यावहारिक | = | व्यावहारिकता |
(घ) | सजग | = | सजगता |
(ङ) | आर्दशवादी | = | आर्दशवादिता |
(च) | शुद्ध | = | शुद्धता |
भाषा अध्ययन
Page Number 123
नीचे दिए गए वाक्यों में रेखांकित अंश पर ध्यान दीजिए और शब्द के अर्थ को समझिए −
शुद्ध सोना अलग है।
बहुत रात हो गई अब हमें सोना चाहिए।
ऊपर दिए गए वाक्यों में 'सोना' का क्या अर्थ है? पहले वाक्य में 'सोना' का अर्थ है धातु 'स्वर्ण'। दुसरे वाक्य में 'सोना' का अर्थ है 'सोना' नामक क्रिया। अलग-अलग संदर्भों में ये शब्द अलग अर्थ देते हैं अथवा एक शब्द के कई अर्थ होते हैं। ऐसे शब्द अनेकार्थी शब्द कहलाते हैं। नीचे दिए गए शब्दों के भिन्न-भिन्न अर्थ स्पष्ट करने के लिए उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए −
उत्तर, कर, अंक, नग
Answer
(क) | उत्तर | - | मैंने सभी प्रश्नों के उत्तर लिख लिए हैं। तुम्हें उत्तर दिशा में जाना है। |
(ख) | कर | - | हमने सभी कर चुका दिए हैं। मंत्री जी ने अपने कर कमलों से दीप प्रज्ज्वलित किया। |
(ग) | अंक | - | राम के परीक्षा में अच्छे अंक आए हैं। बच्चा अपनी माँ की अंक में बैठा है। |
(घ) | नग | - | हीरा एक कीमती नग है। हिमालय एक बड़ा नग है। |
भाषा अध्ययन
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नीचे दिए गए वाक्यों को संयुक्त वाक्य में बदलकर लिखिए −
(क) 1. अँगीठी सुलगायी।
2. उस पर चायदानी रखी।
(ख) 1. चाय तैयार हुई।
2. उसने वह प्यालों में भरी।
(ग) 1. बगल के कमरे से जाकर कुछ बरतन ले आया।
2. तौलिये से बरतन साफ़ किए।
Answer
(क) अँगीठी सुलगायी और उसपर चायदानी रखी।
(ख) चाय तैयार हुई और उसने वह प्यालों में भरी।
(ग) बगल के कमरे में जाकर कुछ बरतन ले आया और तौलिए से बरतन साफ़ किए|
भाषा अध्ययन
Page Number 124
नीचे दिए गए वाक्यों से मिश्र वाक्य बनाइए −
(क) 1. चाय पीने की यह एक विधि है।
2. जापानी में उसे चा-नो-यू कहते हैं।
(ख) 1. बाहर बेढब-सा एक मिट्टी का बरतन था।
2. उसमें पानी भरा हुआ था।
(ग) 1. चाय तैयार हुई।
2. उसने वह प्यालों में भरी।
3. फिर वे प्याले हमारे सामने रख दिए।
Answer
(क) यह चाय पीने की एक विधि है जिसे जापानी चा-नो-यू कहते हैं।
(ख) बाहर बेढब सा एक मिट्टी का बरतन था जिसमें पानी भरा हुआ था।
(ग) जब चाय तैयार हुई तो उसने प्यालों में भरकर हमारे सामने रख दी।
भाषा अध्ययन
Page Number 124