बादलों के आने पर प्रकृति में जिन गतिशील क्रियाओं को कवि ने चित्रित किया है, उन्हें लिखिए।
Answer
बादलों के आने पर प्रकृति में भिन्न तरह के परिवर्तन आते हैं। बादलों के आने की सूचना बयार नाचते-गाते देती हुई चलती है। बादलों के आगमन की सुचना पाकर लोग अतिथि सत्कार के लिए घर के दरवाज़े तथा खिड़कियाँ खोल देते हैं। वृक्ष कभी गर्दन झुकाकर तो कभी उठाकर उनको देखने का प्रयत्न कर रहे हैं। आंधी आकर धूलो को उड़ाती है। प्रकृति के अन्य रुपों के साथ नदी ठिठक गई तथा घूँघट सरकाकर आँधी को देखने का प्रयास करती है। सबसे बड़ा सदस्य होने के कारण बूढ़ा पीपल आगे बढ़कर आँधी का स्वागत करता है। तालाब पानी से भर जाते हैं। आकश में बिजली चमकती है और वर्षा के बून्द मिलान के आंसू बहाते हैं।
प्रश्न अभ्यास
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निम्नलिखित किसके प्रतीक हैं?
धूल, पेड़, नदी, लता, ताल
Answer
1 धूल - स्त्री
2 पेड़- नगरवासी
3 नदी - स्त्री
4 लता - मेघ की प्रतिक्षा करती नायिका
5 ताल - सेवक
प्रश्न अभ्यास
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लता ने बादल रूपी मेहमान को किस तरह देखा और क्यों?
Answer
लता ने बादल रुपी मेहमान को किवाड़ की ओट से देखा क्योंकि वह मेघ के देर से आने के कारण व्याकुल हो रही थी तथा संकोचवश उसके सामने नहीं आ सकती थी।
प्रश्न अभ्यास
Page Number 128
भाव स्पष्ट कीजिए-
क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की
Answer
नायिका को यह भ्रम था कि उसके प्रिय अर्थात् मेघ नहीं आएँगे परन्तु बादल रूपी नायक के आने से उसकी सारी शंकाएँ मिट जाती है और वह क्षमा याचना करने लगती है।
प्रश्न अभ्यास
Page Number 128
भाव स्पष्ट कीजिए-
बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, घूँघट सरके।
Answer
मेघ के आने का प्रभाव सभी पर पड़ा है। नदी ठिठककर कर जब ऊपर देखने की चेष्टा करती है तो उसका घूँघट सरक जाता है और वह तिरछी नज़र से आए हुए आंगतुक को देखने लगती है।
प्रश्न अभ्यास
Page Number 128
मेघ रूपी मेहमान के आने से वातावरण में क्या परिवर्तन हुए?
Answer
मेघ रूपी मेहमान के आने से हवा के तेज बहाव के कारण आँधी चलने लगती है जिससे दरवाजे - खिड़िकियां खुलने लगते हैं, पेड़ अपने संतुलन खो देते हैं। नदी और तालाब के पानी में उथल - पुथल होनी लगती है। पीपल का पुरांना पेड़ भी झुक जाता है। अंत में बिजली कड़कने के साथ वर्षा होने है।
प्रश्न अभ्यास
Page Number 128
मेघों के लिए 'बन-ठन के, सँवर के' आने की बात क्यों कही गई है?
Answer
बहुत दिनों तक न आने के कारण गाँव में मेघ की प्रतीक्षा की जाती है। जिस प्रकार मेहमान (दामाद) बहुत दिनों बाद आते हैं, उसी प्रकार मेघ भी बहुत समय बाद आए हैं। अतिथि जब घर आते हैं तो सम्भवत: उनके देर होने का कारण उनका बन-ठन कर आना ही होता है। कवि ने मेघों में सजीवता डालने के लिए मेघों के 'बन-ठन के, सँवर के' आने की बात कही है।
प्रश्न अभ्यास
Page Number 128
कविता में आए मानवीकरण तथा रूपक अलंकार के उदाहरण खोजकर लिखिए।
Answer
मानवीकरण अलंकार:
1. आगे-आगे नाचती बयार चली
यहाँ बयार का स्त्री के रुप में मानवीकरण हुआ है।
2. मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
मेघ का दामाद के रुप में मानवीकरण हुआ है।
3. पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए।
पेड़ो का नगरवासी के रुप में मानवीकरण किया गया है।
4. धूल भागी घाघरा उठाए।
धूल का स्त्री के रुप में मानवीकरण किया गया है।
5. बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर जुहार की
पीपल का पुराना वृक्ष गाँव के सबसे बुज़र्ग आदमी के रुप में है।
6. बोली अकुलाई लता
लता स्त्री की प्रतीक है।
रूपक अलंकार:
1. क्षितिज अटारी
यहाँ क्षितिज को अटारी के रुपक द्वारा प्रस्तुत किया गया है।
2. दामिनी दमकी
दामिनी दमकी को बिजली के चमकने के रुपक द्वारा प्रस्तुत किया गया है।
3. बाँध टूटा झर-झर मिलन के अश्रु ढरके।
झर-झर मिलन के अश्रु द्वारा बारिश को पानी के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है।
प्रश्न अभ्यास
Page Number 128
कविता में जिन रीति-रिवाजों का मार्मिक चित्रण हुआ है, उनका वर्णन कीजिए।
Answer
कविता में रीति - रिवाज़ों के माध्यम से वर्षा ऋतु का चित्रण किया गया है। मेहमान के आने पर पूरे गाँव में उलास और उमंग माहौल होता है। सभी लोग अपने-अपने तरीकों से मेहमान के स्वागत में जुट जाते हैं। गाँव की स्त्रियाँ मेहमान से पर्दा करने लगती है, बुजुर्ग झुककर उनका स्वागत करते हैं,पैरों को धोने के लिए परात में पानी लाया जाता है। इस प्रकार से इस कविता में कुछ ग्रामीण रीति-रिवाजों का चित्रण हुआ है।
प्रश्न अभ्यास
Page Number 128
कविता में कवि ने आकाश में बादल और गाँव में मेहमान (दामाद) के आने का जो रोचक वर्णन किया है, उसे लिखिए।
Answer
कविता में मेघ और दामाद के आगमन में समानता बताई गई है। जब गाँव में मेघ दिखते हैं तो गाँव के सभी लोग उत्साह के साथ उसके आने की खुशियाँ मनाते हैं। हवा के तेज़ बहाव से पेड़ अपना संतुलन खो बैठते हैं, नदियों तथा तालाबों के जल में उथल-पुथल होने लगती है। मेघों के आगमन पर प्रकृति के अन्य अव्यव भी प्रभावित होते हैं।
ठीक इसी प्रकार किसी गाँव में जब कोई दामाद आता है तो गाँव के सभी सदस्य उसमें बढ़ चढ़कर भाग लेते हैं। स्त्रियाँ चिक की आड़ से दामाद को देखने का प्रयत्न करती है, गाँव के सबसे बुज़र्ग आदमी सर्वप्रथम उसके समक्ष जाकर उसका आदर-सत्कार करते हैं। पूरी सभा का केन्द्रिय पात्र वहीं होता है।
प्रश्न अभ्यास
Page Number 128
काव्य-सौंदर्य लिखिए -
पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
Answer
प्रस्तुत पंक्तियों में पाहुन अर्थात् दामाद के रूप में प्रकृति का मानवीकरण हुआ है। कवि ने प्रस्तुत कविता में चित्रात्मक शैली का उपयोग किया है। इसमें बादलों के सौंदर्य का मनोरम चित्रण हुआ है। कविता की भाषा सरल तथा सहज होने के साथ ग्रामीण भाषा जैसे पाहुन शब्द का भी इस्तेमाल किया गया है। यहाँ पर बन ठन में ब वर्ण की आवृत्ति होने के कारण अनुप्रास अलंकार है।
प्रश्न अभ्यास
Page Number 128
वर्षा के आने पर अपने आसपास के वातावरण में हुए परिवर्तनों को ध्यान से देखकर एक अनुच्छेद लिखिए।
Answer
वर्षा के आने पर वातावरण में ठंड बढ़ जाती है। पेड़ पौधे ताजा दिखाई देने लगते हैं। गड्ढो में पानी भर जाता है। सड़के चमकने लगती हैं। बच्चो का झुण्ड बारिश का मजा लेते दिखाई देने लगता है। सड़को पर पानी जमा होने कारण चलने में असुविधा भी होती है और यातायात सम्बन्धी दिक्कते भी होती हैं। वातावरण में गरमी की समाप्ति होने से लोगो को राहत मिलती है।
रचना और अभिव्यक्ति
Page Number 129
कवि ने पीपल को ही बड़ा बुजुर्ग क्यों कहा है ? पता लगाइए।
Answer
पीपल वृक्ष की आयु सभी वृक्षों से बड़ी होती है। गाँवों में पीपल की पूजा की जाती है इसी कारण गाँव में पीपल वृक्ष का होना अनिवार्य माना जाता है इसीलिए पुराना और पूजनीय होने के कारण पीपल को बड़ा बुजुर्ग कहा गया है।
रचना और अभिव्यक्ति
Page Number 129
कविता में मेघ को 'पाहुन' के रूप में चित्रित किया गया है। हमारे यहाँ अतिथि (दामाद) को विशेष महत्त्व प्राप्त है, लेकिन आज इस परंपरा में परिवर्तन आया है। आपको इसके क्या कारण नजर आते हैं, लिखिए।
Answer
हमारे यहाँ अतिथि को देवता तुल्य मन गया है। लोग आज भी इस परंपरा का पालन करते हैं। परन्तु बदलते समाज में इस व्यवस्था में कई परिवर्तन आएँ हैं । इसके कई कारण है जैसे संयुक्त परिवारों का टूटना, शहरीकरण, पाश्चात्य संस्कृति की और बढ़ता झुकाव, महँगाई, और व्यस्तता ऐसे कुछ कारण है। जिसके फलस्वरूप आज का मनुष्य केवल अपने बारे में ही सोचता है। उसके पास दूसरों को देने के लिए समय तथा इच्छा का अभाव हो चला है और परिणामस्वरूप यह परम्परा धीरे-धीरे गायब होती जा रही है।
रचना और अभिव्यक्ति
Page Number 129
कविता में आए मुहावरों को छाँटकर अपने वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए।
Answer
1. बन-ठन के - (तैयारी के साथ) मेहमान हमेशा बन-ठन के हैं ।
2. सुधि लेना - (खबर लेना) मैंने अपने प्रिया मित्र की कई दिनों तक सुधि नहीं ली है।
3. गाँठ खुलना - (समस्या का समाधान होना) आपसी बातचीत द्वारा मन की कई गाँठे खुल जाती है।
4. बाँध टूटना - (धैर्य समाप्त होना) कई घंटे बिजली कटी होने से मोहन के सब्र का बाँध टूट गया।
रचना और अभिव्यक्ति
Page Number 129
कविता में प्रयुक्त आँचलिक शब्दों की सूची बनाइए।
Answer
बयार, पाहुन, उचकाना, जुहार, सुधि-लीन्हीं, किवार, अटारी, बन ठन, बाँकी, परात।
रचना और अभिव्यक्ति
Page Number 129
मेघ आए कविता की भाषा सरल और सहज है - उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
Answer
'मेघ आए' कविता की भाषा सरल तथा सहज है। निम्नलिखित उदाहरणों द्वारा इसे स्पष्ट किया जा सकता है
1. मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
2. पाहुन ज्यों आए हो गाँव में शहर के।
3. पेड़ झुककर झाँकने लगे गरदन उचकाए।
4. बरस बाद सुधि लीन्हीं
5. पेड़ झुककर झाँकने लगें
उपर्युक्त पंक्तियों में ज़्यादातर आम बोलचाल की भाषा का प्रयोग किया गया है। कहीं-कहीं पर गाँव का माहौल स्थापित करने के लिए ग्रामीण भाषा का भी प्रयोग किया गया है जिसे समझने में कठिनाई नही होती है।
रचना और अभिव्यक्ति
Page Number 129