जैव प्रक्रम

NCERT Solutions for Chapter 6 जैव प्रक्रम Class 10 Science

Book Solutions

1

हमारे जैसे बहुकोशिकीय जीवों में ऑक्सीजन की आवश्यकता पूरी करने में विसरण क्यों अपर्याप्त है?

Answer

बहुकोशिकीय जीवों को भोजन ग्रहण करने के लिए, गैसों का आदान-प्रदान करने के लिए या वर्ज्य पदार्थ के निष्कासन के लिए विशिष्टीकृत अंग होते हैं| इसलिए इन जीवों में सभी कोशिकाएँ अपने आसपास के पर्यावरण के सीधे संपर्क में नहीं रह सकतीं| यही कारण है कि हमारे जैसे बहुकोशिकीय जीवों में ऑक्सीजन की आवश्यकता पूरी करने में विसरण अपर्याप्त है|
Exercise

2

कोई वस्तु सजीव है, इसका निर्धारण करने के लिए हम किस मापदंड का उपयोग करेंगे?

Answer

कोई जीवित है या नहीं इसका निर्धारण ऐसी कोई भी दिखने वाली गति जैसे, चलना, साँस लेना या वृद्धि करने से किया जाता है| जबकि सजीवों में ऐसी गतियाँ भी होती है जिन्हें हम नग्न आँखों से नहीं देख सकते है| इसलिए जीवन-प्रक्रिया की उपस्थिति मौलिक मापदंड है जिससे तय किया जा सकता है कि कुछ जीवित है या नहीं|
Exercise

3

किसी जीव द्वारा किन कच्ची सामग्रियों का उपयोग किया जाता है?किसी जीव द्वारा किन कच्ची सामग्रियों का उपयोग किया जाता है?

Answer

किसी जीव द्वारा निम्नलिखित कच्ची सामग्रियों का उपयोग किया जाता है:
• ऊर्जा और सामग्री के स्रोत के रूप में भोजन|
• भोजन के टूट कर उससे ऊर्जा प्रोत करने के लिए ऑक्सीजन|
• शारीर के अन्दर भोजन तथा अन्य कार्यों के उचित पाचन के लिए पानी|
Exercise

4

जीवन के अनुरक्षण के लिए आप किन प्रक्रमों को आवश्यक मानेंगे?

Answer

जीवन के अनुरक्षण के लिए जैव प्रक्रिया जैसे, पोषण, उत्सर्जन, श्वसन, परिवहन आवश्यक है|
Exercise

5

स्वयंपोषी पोषण तथा विषमपोषी पोषण में क्या अंतर है?

Answer

स्वयंपोषी पोषणविषमपोषी पोषण
भोजन को सरल अकार्बनिक कच्चे माल जैसे जल और CO2 से संशलेषित किया जाता है|भोजन को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्राप्त किया जाता है| भोजन को एंजाइम के मदद से तोड़ा जाता है|
क्लोरोफिल की आवश्यकता होती है|क्लोरोफिल की कोई आवश्यकता नहीं होती|
सामान्यतः भोजन का निर्माण दिन के समय होता है|भोजन का निर्माण कभी भी किया जा सकता है|
सभी हरे पौधे तथा कुछ जीवाणुओं में इस प्रकार का पोषण होता है|सभी जीवों तथा कवक में यह पोषण होता है|
Exercise

6

प्रकाशसंश्लेषण के लिए आवश्यक कच्ची सामग्री पौधा कहाँ से प्राप्त करता है?

Answer

प्रकाशसंश्लेषण के लिए आवश्यक कच्ची सामग्रियाँ निम्नलिखित है:
• कार्बन डाइऑक्साइड: पौधे कार्बन डाइऑक्साइड अपने पत्तियों के सतह पर बने सूक्ष्म छिद्रों के द्वारा प्राप्त करते हैं|
• जल: पौधे जल की पूर्ति जड़ों द्वारा मिट्टी में उपस्थित जल के अवशोषण से करते हैं|
• सूर्य का प्रकाश: पौधे क्लोरोफिल द्वारा प्रकाश ऊर्जा को अवशोषित करते हैं|
Exercise

7

हमारे आमाशय में अम्ल की भूमिका क्या है?

Answer

हमारे आमाशय में अम्ल की निम्नलिखित भूमिका है:
• माशय में स्थित हाइड्रोक्लोरिक अम्ल भोजन के टुकड़ों को घोलने में मदद करता है तथा एक अम्लीय माध्यम तैयार करता है| इस अम्लीय माध्यम में एंजाइम पेप्सिनोजेन को पेप्सिन में परिवर्तित करता है जो कि एक प्रोटीन पाचक एंजाइम है|
• यह भोजन के साथ प्रवेश करने वाले बैक्टीरिया तथा सूक्ष्मजीवों को नष्ट करता है|
Exercise

8

पाचक एंजाइमों का क्या कार्य है?

Answer

एमीलेस, लाइपेज, पेप्सिन, ट्रिप्सिन इत्यादि जैसे पाचन एंजाइम, भोजन को सरल कणों  में तोड़ने में मदद करते हैं| ये सरल कण रक्त द्वारा आसानी से अवशोषित हो जाते है और इस प्रकार शरीर के सभी कोशिकाओं तक पहुँचाते हैं|
Exercise

9

पचे हुए भोजन को अवशोषित करने के लिए क्षुदांत्र को कैसे अभिकल्पित किया गया है?

Answer

क्षुदांत्र के आन्तरिक आस्तर पर अनेक अँगुली जैसे प्रवर्ध होते हैं जिन्हें दीर्घरोम कहते हैं| ये अवशोषण का सतही क्षेत्रफल बढ़ा देते हैं| दीर्घरोम में रूधिर वाहिकाओं की बहुतायत होती है जो भोजन को अवशोषित करके शरीर की प्रत्येक कोशिका तक पहुँचाते हैं| यहाँ इसका उपयोग ऊर्जा प्राप्त करने, नए ऊत्तकों के निर्माण और पुराने उत्तकों की मरम्मत में होता है|

Exercise

10

श्वसन के लिए ऑक्सीजन प्राप्त करने की दिशा में एक जलीय जीव की अपेक्षा स्थलीय जीव किस तरह लाभप्रद है?

Answer

स्थलीय जीव वायुमंडलीय ऑक्सीजन लेते हैं, परंतु जलीय जीव जल में विलेय ऑक्सीजन का उपयोग करते हैं| जल की तुलना में वायु में ऑक्सीजन की मात्रा अधिक होती है| चूँकि वायु में ऑक्सीजन की मात्रा अधिक होती है इसलिए स्थलीय जीवों को अधिक ऑक्सीजन प्राप्त करने के लिए तेजी से साँस लेने की आवश्यकता नहीं होती है| इसलिए जलीय जंतु के विपरीत, स्थलीय जीवों को गैसीय आदान-प्रदान के लिए अनुकूलन की आवश्यकता नहीं होती है|
Exercise

11

ग्लूकोज के ऑक्सीकरण से भिन्न जीवों में ऊर्जा प्राप्त करने के लिए विभिन्न पथ क्या हैं?

Answer

विखंडन हैं| यह प्रक्रम कोशिकाद्रव्य में होता है| 

• अवायवीय श्वसन- चूँकि यह प्रक्रम वायु की अनुपस्थिति में होता है, इसे अवायवीय श्वसन कहते हैं| यह प्रक्रम किण्वन के समय यीस्ट में होता है| इसके पश्चात पायरुवेट इथेनॉल तथा कार्बन डाइऑक्साइड में परिवर्तित हो सकता है|

• वायवीय श्वसन- वायवीय श्वसन में तीन कार्बन वाले पायरुवेट के अणु को विखंडित करके तीन कार्बन डाइऑक्साइड के अणु एवं जल देता है| वायवीय श्वसन में ऊर्जा का मोचन अवायवीय श्वसन की अपेक्षा बहुत अधिक होता है|

• ऑक्सीजन का अभाव- कभी-कभी जब हमारी पेशी कोशिकाओं में ऑक्सीजन का अभाव हो जाता है, पायरुवेट के विखंडन के लिए दूसरा पथ अपनाया जाता है, यहाँ पायरुवेट एक अन्य तीन कार्बन वाले अणु लैक्टिक अम्ल में परिवर्तित हो जाता है| लैक्टिक अम्ल का निर्माण होना क्रैम्प का कारण हो सकता है|
Exercise

12

 मनुष्यों में ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन कैसे होता है?

Answer

ऑक्सीजन का परिवहन- फुफ्फुस की वायु से श्वसन वर्णक ऑक्सीजन लेकर, उन ऊत्तकों तक पहुँचाते हैं जिनमें ऑक्सीजन की कमी है| मानव में श्वसन वर्णक हीमोग्लोबिन है जो लाल रूधिर कणिकाओं में उपस्थित होता है|
कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन-  कार्बन डाइऑक्साइड जल में अधिक विलेय है और इसलिए इसलिए यह ज्यादातर शरीर के उत्तकों से हमारे रक्त प्लाज्मा में विलेय अवस्था में फेफड़ों तक ले जाया जाता है जहाँ यह रक्त से फेफड़ों के हवा में फ़ैल जाती है और फिर नाक के द्वारा बाहर निकल दिया जाता है|
Exercise

13

गैसों के विनिमय के लिए मानव-फुफ्फुस में अधिकतम क्षेत्रफल को कैसे अभिकल्पित किया है?

Answer

फुफ्फुस के अंदर अनेक कूपिकाएँ होती है, जो एक सतह उपलब्ध कराती है जिससे गैसों का विनिमय हो सकता है| कूपिकाओं की भित्ति में रूधिर वाहिकाओं का विस्तीर्ण जाल होता है| जब हम श्वास अंदर लेते हैं, हमारी पसलियाँ ऊपर उठती है और हमारा डायाफ्राम चपटा हो जाता है| इसके परिणामस्वरूप वक्षगुहिका बड़ी हो जाती है| इस कारण वायु फुफ्फुस के अंदर चूस ली जाती है और विस्तृत कूपिकाओं को भर देती है| रूधिर शेष शरीर से कार्बन डाइऑक्साइड कूपिकाओं में छोड़ने के लिए लाता है तथा वायु से ऑक्सीजन लेकर शरीर की सभी कोशिकाओं तक पहुँचाता है|
Exercise

14

मानव में वहन तंत्र के घटक कौन-से हैं? इन घटकों के क्या कार्य हैं?

Answer

मनुष्य में वहन तंत्र के मुख्य घटक ह्रदय, रूधिर तथा रूधिर वाहिकाएँ हैं| 
• ह्रदय पूरे शरीर में ऑक्सीजन युक्त रक्त पंप करता है| यह शरीर के विभिन्न अंगों से विऑक्सीजनित रूधिर प्राप्त करता है तथा ऑक्सीजनीकरण के लिए इस अशुद्ध रक्त को फेफड़ों में भेजता है|
• रूधिर ऑक्सीजन, पोषक तत्वों, कार्बन डाइऑक्साइड तथा नाइट्रोजन युक्त अपशिष्ट के परिवहन में मदद करता है|
• रूधिर वाहिकाएँ (शिराएँ, धमनियाँ तथा केशिकाएँ) ह्रदय से दूर विभिन्न अंगों तक अथवा विभिन्न अंगों से ह्रदय तक रक्त पहुँचाते हैं|
Exercise

15

स्तनधारी तथा पक्षियों में ऑक्सीजनित तथा विऑक्सीजनित रूधिर को अलग करना क्यों आवश्यक है?

Answer

शरीर में ऑक्सीजन की दक्षतापूर्ण आपूर्ति के लिए ऑक्सीजनित तथा विऑक्सीजनित रूधिर को अलग करना आवश्यक है| यह क्रम उन जंतुओं में जरूरी है जिन्हें उच्च ऊर्जा की आवश्यकता होती है| उदाहरणस्वरुप पक्षी और स्तनधारी सरीखे जंतुओं को अपने शरीर का तापक्रम बनाए रखने के लिए नितन्तर ऊर्जा की आवश्यकता होती है|
Exercise

16

उच्च संगठित पादप में वहन तंत्र के घटक क्या हैं?

Answer

उच्च संगठित पादप में उत्तकों के संचालन के लिए दो अलग-अलग प्रकार होते हैं- जाइलम तथा फ्लोएम| जाइलम, जो मृदा से प्राप्त जल और खनिज लवणों को वहन करता है| फ्लोएम, पत्तियों से जहाँ प्रकाशसंश्लेषण के उत्पाद संश्लेषित होते हैं, पौधे के अन्य भागों तक वहन करता है|
Exercise

17

पादप में जल और खनिज लवण का वहन कैसे होता है?

Answer

मिट्टी से पत्तियों तक जल और खनिज लवण जाइलम कोशिकाओं के माध्यम से ले जाया जाता है| जाइलम उत्तक में जड़ों, तनों और पत्तियों की वहिनिकाएँ तथा वाहिकाएँ आपस में जुड़कर जल संवहन कोशिकाओं का एक सतत जाल बनाती है जो पादप के सभी भागों से सम्बद्ध होता है| जड़ों की कोशिकाएँ मृदा के संपर्क में हैं तथा वे सक्रिय रूप से आयन प्राप्त करती है| यह जड़ और मृदा के मध्य आयन सांद्रण में एक अंतर उत्पन्न करता है| इस अंतर को समाप्त करने के लिए मृदा से जल जड़ में प्रवेश कर जाता है| इसका अर्थ है कि जल अनवरत गति से जड़ के जाइलम में जाता है और जल केव स्तम्भ का निर्माण करता है जो लगातार ऊपर की ओर धकेला जाता है| पादप के वायवीय भागों द्वारा वाष्प के रूप में जल की हानि वाष्पोत्सर्जन कहलाती है| अतः वाष्पोत्सर्जन, जल के अवशोषण एवं जड़ से पत्तियों तथा उसमें विलेय खनिज लवणों के उपरिमुखी गति में सहायक है| जल के वहन में मूल दाब रात्रि के समय विशेष रूप से प्रभावी है जबकि दिन के समय वाष्पोत्सर्जन कर्षण, जाइलम में जल की गति के लिए मुख्य प्रेरक बल होता है| 
Exercise

18

पादप में भोजन का स्थानांतरण कैसे होता है?

Answer

पादप में पत्तियों से विभिन्न भागों में भोजन का स्थानांतरण फ्लोएम द्वारा होता है| फ्लोएम में भोजन का स्थानांतरण उत्तक में ए. टी. पी. से प्राप्त ऊर्जा के उपयोग से पूरा होता है| यह उत्तक का परासरण दाब बढ़ा देता है जिससे कि भोजन का स्थानांतरण उच्च दाब से कम दाब की ओर करता है|
Exercise

19

वृक्काणु (नेफ्रॉन) की रचना तथा क्रियाविधि का वर्णन कीजिए|

Answer

प्रत्येक वृक्क में ऐसे अनेक निस्यन्दन एकक होते हैं जिन्हें वृक्काणु (नेफ्रॉन) कहते हैं जो आपस में निकटता से पैक रहते हैं|

वृक्काणु की क्रियाविधि:

• गुर्दे में रक्त गुर्दे की धमनी के माध्यम से प्रवेश करता है जिनकी शाखाएँ केशिकाओं में केशिका गुच्छ से जुड़ी होती है|

• वृक्क के बोमन संपुट में जल और विलायक को स्थानांतरित किया जाता है|
• प्रारंभिक निस्यंदन में कुछ पदार्थ, जैसे ग्लूकोज, अमीनो अम्ल, लवण और प्रचुर मात्रा में जल रह जाते हैं तथा अवांछित कण मूत्र में जुड़ जाते हैं|

• जैसे-जैसे मूत्र इस नलिका में प्रवाहित होता है इन पदार्थों का चयनित पुनरवशोषण हो जाता है|

• प्रत्येक वृक्क में बनने वाला मूत्र एक लंबी नलिका, मूत्रवाहिनी में प्रवेश करता है जो वृक्क को मूत्राशय से जोड़ती है|

• मूत्राशय में मूत्र भंडारित रहता है जब तक कि फैले हुए मूत्राशय का दाब मूत्रमार्ग द्वारा उसे बाहर न कर दे|
Exercise

20

 उत्सर्जी उत्पाद से छुटकारा पाने के लिए पादप किन विधियों का उपयोग करते है?

Answer

पादप वाष्पोत्सर्जन द्वारा उत्सर्जी उत्पाद से छुटकारा पा सकते हैं| बहुत से पादप अपशिष्ट उत्पाद कोशिकीय रिक्तिका में संचित रहते हैं तथा अन्य अपशिष्ट उत्पाद रेजिन तथा गोंद के रूप में विशेष रूप से पुराने जाइलम में संचित रहते हैं|
Exercise

21

मूत्र बनने की मात्रा का नियमन किस प्रकार होता है?

Answer

मूत्र बनने की मात्रा शरीर में मौजूद अतिरिक्त जल और विलेय वर्ज्य की मात्रा पर निर्भर करता है| कुछ अन्य कारक जैसे जीवों के आवास तथा हार्मोन जैसे एंटी मूत्रवर्धक हार्मोन (ADH) भी मूत्र की मात्रा को नियंत्रित करता है|
Exercise

22

 मनुष्य में वृक्क एक तंत्र का भाग है जो संबंधित है
(a) पोषण 
(b) श्वसन
(c) उत्सर्जन
(d) परिवहन

Answer

(c) उत्सर्जन
Exercise

23

पादप में जाइलम उत्तरदायी है
(a) जल का वहन
(b) भोजन का वहन
(c) अमीनो अम्ल का वहन
(d) ऑक्सीजन का वहन

Answer

(a) जल का वहन
Exercise

24

स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक है
(a) कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल
(b) क्लोरोफिल
(c) सूर्य का प्रकाश
(d) उपरोक्त सभी

Answer

(d) उपरोक्त सभी
Exercise

25

पायरुवेट के विखंडन से यह कार्बन डाइऑक्साइड, जल तथा ऊर्जा देता है और यह क्रिया होती है 
(a) कोशिकद्रव्य
(b) माइटोकॉन्ड्रिया
(c) हरित लवक 
(d) केन्द्रक

Answer

(b) माइटोकॉन्ड्रिया
Exercise

26

हमारे शरीर में वसा के पाचन कैसे होता है? यह प्रक्रम कहाँ होता है?

Answer

क्षुद्रांत्र में वसा बड़ी गोलिकाओं के रूप में होता है जिससे उस पर एंजाइम का कार्य करना मुश्किल हो जाता है| पित्त लवण उन्हें छोटी गोलिकाओं में खंडित कर देता है जिससे एंजाइम की क्रियाशीलता बढ़ जाती है| अग्न्याशय अग्न्याशयिक रस का स्रावण करता है जिसमें इमल्सीकृत वसा का पाचन करने के लिए लाइपेज एंजाइम होता है| यह प्रक्रिया क्षुदांत्र में पूरी होती है|
Exercise

27

भोजन के पाचन में लार की क्या भूमिका है?

Answer

भोजन के पाचन में लार की भूमिका:
• यह भोजन को आसानी से निगलने के लिए भोजन को गीला करता है|
• लार में भी एक एंजाइम होता है जिसे लार एमिलस कहते हैं, यह मंड जटिल अणु को शर्करा में खंडित कर देता है|
Exercise

28

 स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ कौन सी हैं और उसके उपोत्पाद क्या हैं?

Answer

स्वपोषी जीव की कार्बन तथा ऊर्जा की आवश्यकताएँ प्रकाशसंश्लेषण द्वारा पूरी होती है| स्वपोषी पोषण के लिए कार्बन डाइऑक्साइड, जल, क्लोरोफिल तथा सूर्य का प्रकाश आवश्यक तत्व हैं| कार्बोहाइड्रेट पौधों को ऊर्जा प्रदान करने में प्रयुक्त होते हैं|
Exercise

29

वायवीय तथा अवायवीय श्वसन में क्या अंतर है? कुछ जीवों के नाम लिखिए जिनमें अवायवीय श्वसन होता है|

Answer

वायवीय श्वसनअवायवीय श्वसन
यह ऑक्सीजन की उपस्थिति में होता है|यह ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में होता है|
इसमें जीवों और बाहरी वातावरण के बीच गैसों का आदान-प्रदान शामिल है|गैसों का आदान-प्रदान अनुपस्थित होता है|
यह प्रक्रम कोशिकाद्रव्य तथा माइटोकॉन्ड्रिया में होता है|यह केवल माइटोकॉन्ड्रिया में होता है|
यह कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल का स्रावण करता है|अंत उत्पाद भिन्न होते हैं|
Exercise

30

गैसों के अधिकतम विनिमय के लिए कूपिकाएँ किस प्रकार अभिकल्पित हैं?

Answer

फुफ्फुस के अंदर अनेक कूपिकाएँ होती है, जो एक सतह उपलब्ध कराती है जिससे गैसों का विनिमय हो सकता है| कूपिकाओं की भित्ति में रूधिर वाहिकाओं का विस्तीर्ण जाल होता है| जब हम श्वास अंदर लेते हैं, हमारी पसलियाँ ऊपर उठती है और हमारा डायाफ्राम चपटा हो जाता है| इसके परिणामस्वरूप वक्षगुहिका बड़ी हो जाती है| इस कारण वायु फुफ्फुस के अंदर चूस ली जाती है और विस्तृत कूपिकाओं को भर देती है| रूधिर शेष शरीर से कार्बन डाइऑक्साइड कूपिकाओं में छोड़ने के लिए लाता है तथा वायु से ऑक्सीजन लेकर शरीर की सभी कोशिकाओं तक पहुँचाता है|
Exercise

31

हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी के कारण परिणाम हो सकते हैं?

Answer

हीमोग्लोबिन मानव शरीर में श्वसन वर्णक है जो ऑक्सीजन के लिए उच्च बंधुता रखता है तथा शरीर की कोशिकाओं में ऑक्सीजन का स्थानांतरण करता है| इसलिए रक्त में हीमोग्लोबिन की कमी रक्त में ऑक्सीजन की आपूर्ति क्षमता को प्रभावित कर सकता है| इससे शरीर की कोशिकाओं में ऑक्सीजन की कमी हो सकती है तथा एनीमिया नामक बीमारी का कारण बन सकती है|
Exercise

32

मनुष्य में दोहरा परिसंचरण की व्याख्या कीजिए| यह क्यों आवश्यक है?

Answer

एक चक्र में अन्य कशेरुकी में रुधिर दो बार ह्रदय में जाता है जिसे दोहरा परिसंचरण कहते हैं| यह मनुष्य में ऑक्सीजनित तथा विऑक्सीजनित रक्त को अलग करने के लिए आवश्यक होता है क्योंकि इसकी वजह से रुधिर की संचालन प्रणाली अधिक कुशल होती है और लगातार शरीर के तापमान को बनाए रखने में मदद करती है|
Exercise

33

जाइलम तथा फ्लोएम में पदार्थों के वहन में क्या अंतर है?

Answer

जाइलम फ्लोएम
जाइलम मृदा से प्राप्त जल और खनिज लवणों को वहन करता है|फ्लोएम उत्तक भोजन के परिवहन में मदद करता है| 
जल को पौधों के जड़ों से अन्य भागों तक ले जाता है|भोजन को ऊपर और नीचे दोनों दिशाओं में ले जाया जाता है|
जाइलेम में पदार्थों का वहन सरल भौतिक दबावों की सहायता से होता है, जैसे वाष्पोत्सर्जन|फ्लोएम में भोजन का वहन एटीपी से प्राप्त ऊर्जा के द्वारा से होता है|
Exercise

34

फुफ्फुस में कूपिकाओं की तथा वृक्क में वृक्काणु (नेफ्रान) की रचना तथा क्रियाविधि की तुलना कीजिए| 

Answer

कूपिकाएँवृक्काणु
रचनारचना
फुफ्फुस के अंदर स्थित छोटी नलिकाएँ होती है जो गुब्बारे जैसी रचना में अंतकृत होती है जिसे कूपिका कहते हैं|वृक्काणु गुर्दे के अंदर स्थित नली जैसी संरचना में मौजूद होती है|
कूपिकाओं की भित्ति में रुधिर वाहिकाओं का विस्तीर्ण जाल होता है|यह केशिका गुच्छा, बोमन संपुट तथा एक लंबी नलिका से बनी होती है|
क्रियाविधिक्रियाविधि
रुधिर शेष शरीर से कार्बन डाइऑक्साइड कूपिकाओं में छोड़ने के लिए लाता है तथा वायु से ऑक्सीजन लेकर शरीर की सभी कोशिकाओं तक पहुँचाता है|रक्त गुर्दे की धमनी द्वारा गुर्दे में प्रवेश करती है| यहाँ रुधिर प्रवेश करता है जबकि नाइट्रोजनी वर्ज्य पदार्थ जैसे यूरिया या यूरिक अम्ल अलग कर लिए जाते हैं| 
कूपिकाएँ एक सतह उपलब्ध कराती है जिससे गैसों का विनिमय हो सकता है|वृक्काणु मूल निस्पंदन इकाई है
Exercise