जहाँ पहिया है

NCERT Solutions for Chapter 13 जहाँ पहिया है Class 8 Hindi

Book Solutions

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''...उन जंजीरों को तोड़ने का जिनमें वे जकड़े हुए हैं, कोई-न-कोई तरीका लोग निकाल ही लेते हैं...''
आपके विचार से लेखक 'जंजीरों' द्वारा किन समस्याओं की ओर इशारा कर रहा है?

Answer

'जंजीरों' द्वारा लेखक रूढ़िवादी प्रथाओं की ओर इशारा कर रहा है जैसे: स्त्री निरक्षरता और उनके प्रति भेदभाव।
जंजीरें Page Number 79

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क्या आप लेखक की इस बात से सहमत हैं? अपने उत्तर का कारण भी बताइए।

Answer

लेखक के इस कथन से हम सहमत हैं। समाज द्वारा बनाई गई रूढ़ियाँ अपनी सीमाओं को लाँघने लगे तो समाज में इसके विरूद्ध एक क्रांति अवश्य जन्म लेती है। जो इन रूढ़ियों के बंधनों को तोड़ डालती है। समय के साथ-साथ विचारधाराओं में भी परिवर्तन होता रहता है और ये परिवर्तन आवश्यक भी है। अन्यथा हम कभी प्रगति नहीं कर पाएँगे और हम और हमारा समाज दिशाहीन हो जाएगा। जब ये परिवर्तन होने प्रारम्भ होते हैं तो समाज में एक जबरदस्त बदलाव आता है जो उसकी सोचने-समझने की धारा को ही बदल देता है और यही बदलाव एक नए समाज को जन्म देता है। जब भी पुरानी विचारधारा में बदलाव हुआ है समाज के लिए यह असहनीय रहा है परन्तु धीरे-धीरे नया बदलाव स्वीकार कर लिया जाता है और समाज पुरानी जंजीरों को तोड़कर एक नए रूप में विद्यमान हो जाता है। जैसे तमिलनाडु के पुडुकोट्टई गाँव में हुआ है महिलाओं ने अपनी स्वाधीनता व आज़ादी के लिए साइकिल चलाना आरम्भ किया और समाज में एक नई मिसाल रखी।
जंजीरें Page Number 80

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'साइकिल आंदोलन' से पुडुकोट्टई की महिलाओं के जीवन में कौन-कौन से बदलाव आए हैं?

Answer

(i) 'साइकिल आंदोलन' से महिलाएँ अपनी स्वाधीनता व आज़ादी के प्रति जागृत हुई हैं।
(ii) 'साइकिल आंदोलन' ने उन्हें नवसाक्षर किया है, आर्थिक स्थिति सुधरी है।
(iii) 'साइकिल आंदोलन' ने उन्हें अधिकारों के प्रति जागृत किया है।
(iv) 'साइकिल आंदोलन' ने उन्हें समाज में स्वयं के लिए बराबरी का दर्जा देने के लिए प्रेरित किया है, समय और श्रम की बचत हुई है।
(v) 'साइकिल आंदोलन' ने उन्हें आत्मनिर्भर व स्वयं के लिए आत्मसम्मान की भावना पैदा की है, पुरुष वर्ग पर निर्भरता में कमी आई।
पहिया Page Number 80

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शुरूआत में पुरुषों ने इस आंदोलन का विरोध किया परंतु आर. साइकिल्स के मालिक ने इसका समर्थन किया, क्यों?

Answer

आर. साइकिल्स के मालिक ने आंदोलन का समर्थन स्वार्थवश किया। वे गाँव के एकमात्र लेड़ीज साइकिल डीलर थे महिलाओं ने जब आज़ादी का सम्मान करते हुए साइकिल आंदोलन को अपना हथियार बनाया तो, आर. साइकिल्स के मालिक की आय में वृद्धि होना स्वभाविक था।
पहिया Page Number 80

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प्रारंभ में इस आंदोलन को चलाने में कौन-कौन सी बाधा आई?

Answer

फातिमा ने जब इस आंदोलन की शुरूआत की तो उसको बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। वो इस प्रकार है - (i) सर्वप्रथम, फातिमा मुस्लिम परिवार से थी। जो बहुत ही रूढ़िवादी थे। उन्होंने उसके उत्साह को तोड़ने का प्रयास किया।
(ii) फातिमा के साइकिल चलाने पर उसे फ़ब्तियाँ (गंदी टिप्पणियाँ) सुननी पड़ी।
(iii) उनके पास साइकिल शिक्षक का अभाव था जिसके लिए उन्होंने स्वयं कमर कस ली और स्वयं साइकिल सिखाना आरम्भ किया। 
पहिया Page Number 80
शीर्षक की बात Page Number 80

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अपने मन से इस पाठ का कोई दूसरा शीर्षक सुझाइए। अपने दिए हुए शीर्षक के पक्ष में तर्क दीजिए।

Answer

'महिला विकास की साईकल' की भी इस पाठ के लिए उपयुक्त नाम हो सकता था चूँकि यहाँ महिलाओं ने अपने विकास को प्रदर्शित करने के लिए साईकल का उपयोग किया।
शीर्षक की बात Page Number 80

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फातिमा ने कहा,''...मैं किराए पर साइकिल लेती हूँ ताकि मैं आज़ादी और खुशहाली का अनुभव कर सकूँ।'' साइकिल चलाने से फातिमा और पुडुकोट्टई की महिलाओं को 'आज़ादी' का अनुभव क्यों होता होगा?

Answer

इसका सबसे बड़ा कारण फातिमा के गाँव की पुरानी रूढ़िवादी परम्पराएँ हैं जहाँ औरतों का साइकिल चलाना उचित नहीं माना जाता था। उनके विरोध में खड़े होकर अपने को पुरुषों की बराबरी का दर्जा देकर स्वयं को आत्मनिर्भर बनाकर फातिमा ने जो कदम उठाया उससे उसने स्वयं को, अपने जैसी अन्य महिलाओं को सम्मान दिया है। उससे आज़ादी का अनुभव करना लाज़मी है। वे कहीं आने-जाने के लिए किसी पर निर्भर नहीं रही।
साईकल Page Number 80

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उपसर्गों और प्रत्ययों के बारे में आप जान चुके हैं। इस पाठ में आए उपसर्गयुक्त शब्दों को छाँटिए। उनके मूल शब्द भी लिखिए। आपकी सहायता के लिए इस पाठ में प्रयुक्त कुछ 'उपसर्ग' और 'प्रत्यय' इस प्रकार हैं-अभि, प्र, अनु, परि, वि(उपसर्ग), इक, वाला, ता, ना। 

Answer

उपसर्ग
अभि - अभिमान
प्र - प्रयत्न
अनु  - अनुसरण
परि  - परिपक्व
वि  - विशेष
प्रत्यय
इक - धार्मिक (धर्म + इक)
वाला - किस्मतवाला (किस्मत + वाला)
ता - सजीवता (सजीव + ता)
ना - चढ़ना (चढ़ + ना)

भाषा की बात Page Number 80