आत्मत्राण (पद्य)

NCERT Solutions for Chapter 9 आत्मत्राण Class 10 Sparsh

Book Solutions

(क)1

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
कवि किससे और क्या प्रार्थना कर रहा है?

Answer

कवि करुणामय ईश्वर से प्रार्थना कर रहा है कि उसे जीवन में विपदा दें साथ ही उन विपदाओं से लड़ने की शक्ति भी दें ताकि वह इन मुश्किलों पर विजय पा सके। उसका विश्वास अटल रहे।
प्रश्न अभ्यास Page Number 49

(क)2

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
'विपदाओं से मुझे बचाओं, यह मेरी प्रार्थना नहीं' − कवि इस पंक्ति के द्वारा क्या कहना चाहता है?

Answer

कवि का कहना है कि हे ईश्वर मैं यह नहीं कहता कि मुझ पर कोई विपदा न आए, मेरे जीवन में कोई दुख न आए बल्कि मैं यह चाहता हूँ कि मुझ इन विपदाओं को सहने की शक्ति दें।
प्रश्न अभ्यास Page Number 49

(क)3

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
कवि सहायक के न मिलने पर क्या प्रार्थना करता है?

Answer

कवि सहायक के न मिलने पर प्रार्थना करता है कि उसका बल पौरुष न हिले, वह सदा बना रहे और कोई भी कष्ट वह धैर्य से सह ले।
प्रश्न अभ्यास Page Number 49

(क)4

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
अंत में कवि क्या अनुनय करता है?

Answer

अंत में कवि अनुनय करता है कि चाहे सब लोग उसे धोखा दे, सब दुख उसे घेर ले पर ईश्वर के प्रति उसकी आस्था कम न हो, उसका विश्वास बना रहे। उसका ईश्वर के प्रति विश्वास कभी न डगमगाए।
प्रश्न अभ्यास Page Number 49

(क)5

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
'आत्मत्राण' शीर्षक की सार्थकता कविता के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।

Answer

आत्मत्राण का अर्थ है आत्मा का त्राण अर्थात आत्मा या मन के भय का निवारण, उससे मुक्ति। कवि चाहता है कि जीवन में आने वाले दुखों को वह निर्भय होकर सहन करे। दुख न मिले ऐसी प्रार्थना वह नहीं करता बल्कि मिले हुए दुखों को सहने, उसे झेलने की शाक्ति के लिए प्रार्थना करता है। इसलिए यह शीर्षक पूर्णतया सार्थक है।
प्रश्न अभ्यास Page Number 49

(क)6

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए आप प्रार्थना के अतिरिक्त और क्या-क्या प्रयास करते हैं? लिखिए।

Answer

अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना के अतिरिक्त परिश्रम और संघर्ष, सहनशीलता, कठिनाईयों का सामना करना और सतत प्रयत्न जैसे प्रयास आवश्यक हैं। धैर्यपूर्वक यह प्रयास करके इच्छापूर्ण करने की कोशिश करते हैं।
प्रश्न अभ्यास Page Number 49

(क)7

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
क्या कवि की यह प्रार्थना आपको अन्य प्रार्थना गीतों से अलग लगती है? यदि हाँ, तो कैसे?

Answer

यह प्रार्थना अन्य प्रार्थना गीतों से भिन्न है क्योंकि अन्य प्रार्थना गीतों में दास्य भाव, आत्म समर्पण, समस्त दुखों को दूर करके सुखशांति की प्रार्थना, कल्याण, मानवता का विकास, ईश्वर सभी कार्य पूरे करें ऐसी प्रार्थनाएँ होती हैं परन्तु इस कविता में कष्टों से छुटकारा नहीं कष्टों को सहने की शक्ति के लिए प्रार्थना की गई है। यहाँ ईश्वर में आस्था बनी रहे, कर्मशील बने रहने की प्रार्थना की गई है।
प्रश्न अभ्यास Page Number 49

(ख)1

निम्नलिखित अंशों का भाव स्पष्ट कीजिए-
नत शिर होकर सुख के दिन में
तव मुख पहचानूँ छिन-छिन में।

Answer

इन पंक्तियों में कवि कहना चाहता है कि वह सुख के दिनों में भी सिर झुकाकर ईश्वर को याद रखना चाहता है, वह एक पल भी ईश्वर को भुलाना नहीं चाहता।
प्रश्न अभ्यास Page Number 49

(ख)2

निम्नलिखित अंशों का भाव स्पष्ट कीजिए-
हानि उठानी पड़े जगत्में लाभ अगर वंचना रही
तो भी मन में ना मानूँ क्षय।

Answer

कवि ईश्वर से प्रार्थना करता है कि जीवन में उसे लाभ मिले या हानि ही उठानी पड़े तब भी वह अपना मनोबल न खोए। वह उस स्थिति का सामना भी साहसपूर्वक करे।
प्रश्न अभ्यास Page Number 49

(ख)3

निम्नलिखित अंशों का भाव स्पष्ट कीजिए-
तरने की हो शक्ति अनामय
मेरा भार अगर लघु करके न दो सांत्वना नहीं सही।

Answer

कवि कामना करता है कि यदि प्रभु दुख दे तो उसे सहने की शक्ति भी दे। वह यह नहीं चाहता कि ईश्वर उसे इस दुख के भार को कम कर दे या सांत्वना दे। वह अपने जीवन की ज़िम्मेदारियों को कम करने के लिए नहीं कहता बल्कि उससे संघर्ष करने, उसे सहने की शक्ति के लिए प्रार्थना करता है।
प्रश्न अभ्यास Page Number 49